मायाराज में हुए 5000 करोड़ से ज्यादा के मनरेगा घोटाले में लंबी ऊहापोह के बाद आखिरकार सीबीआई ने शुक्रवार को एफआईआर दर्ज कर ली है. इस घोटाले में 24 से ज्यादा आइएएस अफसरों के अलावा कई अन्य अफसर और प्रधान जांच के दायरे में आएंगे. इन पर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज रचने, प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और भ्रष्टाचार की साजिश रचने का आरोप है.
हाई कोर्ट ने 31 जनवरी 2014 को मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. जस्टिस देवी प्रसाद सिंह व जस्टिस अशोक पाल सिंह की बेंच ने पत्रकार सच्चिदानंद की पीआईएल पर यह फैसला सुनाया था. राज्य सरकार सीबीआई से जांच नहीं कराना चाहती थी. वह फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में थी.
यूपी के सात जिलों की करीब 4800 ग्राम पंचायतों में 400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला होने की आशंका है. इन जिलों के साथ इलाहाबाद, वाराणसी, आजमगढ़, बस्ती, सहारनपुर, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, बलिया, कानपुर देहात, मथुरा, सुलतानपुर, चित्रकूट व गाजीपुर के भी मनरेगा घोटाले खासे चर्चा में रहे थे.