आम चुनाव से पहले बसपा के लिए नई परेशानी खड़ी हो गई है. सीबीआई उत्तर प्रदेश के सात जिलों में मायावती के शासनकाल के दौरान मनरेगा के तहत प्रदान धन के कथित गबन की शीघ्र जांच शुरू करेगी.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि कथित वित्तीय अनियमितताओं और राज्य में साल 2007-10 के दौरान केंद्र प्रायोजित योजना के कार्यान्वयन में सत्ता के दुरुपयोग की जांच शुरू करने का एजेंसी ने फैसला किया है. यह फैसला इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के सीबीआई को कथित धन के गबन के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के सात जिलों में मनरेगा योजना के तहत सत्ता के दुरुपयोग की जांच का निर्देश दिये जाने के बाद किया गया.
केंद्र प्रायोजित एक अन्य योजना राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यान्वयन की सीबीआई पहले ही जांच कर रही है. इसमें एजेंसी ने तत्कालीन बसपा सरकार में शामिल मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है. हालांकि, कुशवाहा बाद में बसपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. यह आदेश न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति अशोक पाल सिंह की पीठ ने सच्चिदानंद गुप्ता (सच्चे) की जनहित याचिका पर दिया था.
अदालत ने सीबीआई को साल 2007 और 2010 के बीच बलरामपुर, गोंडा, महोबा, सोनभद्र, संत कबीर नगर, मिर्जापुर और कुशीनगर में मनरेगा के तहत धन की अनियमितता के साथ-साथ शक्ति के दुरुपयोग की जांच करने और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई और मुकदमे का निर्देश दिया था.
पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह जरुरत पड़ने पर योजना के तहत केंद्र द्वारा प्रदान किए गए धन की घपलेबाजी के संबंध में तीन साल के लिए राज्य के अन्य जिलों के मामले में प्राथमिक जांच करे. अदालत ने राज्य सरकार को मानवशक्ति समेत सीबीआई को जांच के संबंध में अनुरोध मिलने के एक महीने के भीतर सारी सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया था, ताकि वह फैसले के अनुसार जांच पर आगे बढ़ सके.