उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बढ़ती महंगाई के लिए सीधे-सीधे केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उनका यह बयान पेट्रोल और डीजल के दामों में हुई वृद्धि के बाद आया है. पेट्रोल कंपनियों ने कच्चे तेल में बढ़ोत्तरी के बाद शुक्रवार को डीजल के दाम में 45 पैसे और पेट्रोल के दाम डेढ़ रुपये बढ़ा दिए हैं.
आगामी मंगलवार को पेश होने वाले प्रदेश के बजट का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समाज के हर वर्ग को सुविधा देना चाहते हैं. बजट में योजनाओं के माध्यम से हर वर्ग और जाति की मदद के प्रयास किये जाएंगे.
उन्होंने कहा कि बजट में सुविधाओं के साथ-साथ घोषणापत्र की योजनाओं को पूरी ईमानदारी से लागू करने का प्रयास होगा. अखिलेश ने पूर्ववर्ती मायावती सरकार पर अपने कार्यकाल के दौरान विकास का कोई भी काम नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि उस सरकार का कोई बजट ऐसा नहीं था जिसमें पत्थरों पर पैसा न खर्च किया गया हो, कोई अनुपूरक बजट भी ऐसा नहीं था. उन्होंने प्रदेश को बिल्कुल बरबाद कर दिया. अब व्यवस्था ठीक करने की जिम्मेदारी सपा की है.
अखिलेश ने कहा कि उनकी सरकार ने अपने चुनाव घोषणापत्र में किये गये वादे के मुताबिक 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज दिया है.
मुख्यमंत्री ने यहां समाजवादी पार्टी राज्य मुख्यालय में आयोजित 17 पिछड़ी जातियों के महासम्मेलन में कहा कि सरकार ने निषाद, मल्लाह, भर, बाथम, तुरहा, कहार, कश्यप, केवट, कुम्हार, राजभर, प्रजापति, धीवर, धीमर, बिंद, माझी, गौड़ तथा मछुवा समेत 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी प्रस्ताव कल केन्द्र को भेज दिया है.
उन्होंने कहा कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2005 में अपने मुख्यमंत्रित्वकाल के दौरान इन जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने सम्बन्धी प्रस्ताव केन्द्र को भेजा था जिसे उनके बाद आई मायावती सरकार ने द्वेषवश वापस ले लिया था.
गौरतलब है कि 10 अक्तूबर 2005 को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एक अधिसूचना जारी करके निषाद, मल्लाह, भर, बाथम, तुरहा, कहार, कश्यप, केवट, कुम्हार, राजभर, प्रजापति, धीवर, धीमर, बिंद, माझी, गौड़ तथा मछुवा जातियों को अनुसूचित जातियों को मिलने वाली सुविधाएं दी थीं लेकिन उनके बाद आयी मायावती सरकार ने उस व्यवस्था को समाप्त कर दिया था.
अखिलेश ने कहा कि सपा हमेशा से पिछड़ी जातियों को सम्मान दिलाने की लड़ाई लड़ती रही है और इसीलिये उसने 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों को शामिल करने का वादा अपने चुनाव घोषणापत्र में किया था.
उन्होंने कहा कि यादव की इस मुहिम में शरद यादव तथा लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाले दलों समेत कुछ और पार्टियां भी शामिल हुईं, जिसके बाद सरकार जाति आधारित जनगणना कराने को तैयार हुई. इस तरह पहली लड़ाई तो जीत ली गयी, अब 17 पिछड़ी जातियों को सम्मान दिलाना है.