scorecardresearch
 

नहीं मिली रिश्वत तो सिस्टम ने किया मृत घोषित, पीड़ितों की गुहार- साहेब, हम जिंदा हैं...

चंदौली के एसपी संतोष कुमार सिंह ने 'आज तक' को बताया कि इन्होंने एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिया है. पीड़ितों का कहना है कि गांव के सेक्रेटरी और प्रधान ने इनसे पन्द्रह सौ रुपयों की मांग की और न देने पर इनको मृत घोषित कर दिया. इसी वजह से इनका राशन कार्ड समाप्त हो गया. साथ ही इनको एक साल से पेंशन मिलना बंद हो गई.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

Advertisement

सरकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, ऐसी मंशा हर सरकार दिखाती है. लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो पाता है? शायद नहीं. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के चंदौली में सामने आया है जहां वृद्ध, वृद्धा और विधवा पेंशन के एक दर्जन से ज्यादा लाभार्थियों ने रिश्वत के महज पंद्रह सौ रुपये ग्राम पंचायत अधिकारी को नहीं दिए तो उसने जीते जी इन लोगों को मार डाला.

ग्राम पंचायत अधिकारी ने समाज कल्याण विभाग को दी गई अपनी रिपोर्ट में इन लोगों को मृत दिखा दिया. इसका अंजाम यह हुआ कि इन लोगों को पेंशन मिलना बंद हो गई. साथ ही इनका राशन कार्ड भी निरस्त हो गया. अब अपनी पेंशन पाने और राशन कार्ड के लिए अब ये लोग एसपी और डीएम के दर पर गुहार लगा रहे हैं कि साहेब,ज़िंदा हैं.

Advertisement

दरअसल चंदौली जिले के चकिया तहसील के पिपरिया गांव के इन लोगों को वृद्ध,वृद्धा, और विधवा पेंशन मिला करता था लेकिन पिछले एक साल से जब इनको पेंशन नहीं मिली तो ये लोग उस बैंक में गए जहां इनके खाते में पेंशन आता था. वहां से बताया गया कि आपकी पेंशन नहीं आई है और आप जिले से पता कीजिये.

पीड़ित लोग जब जिला मुख्यालय स्थित समाज कल्याण कार्यालय गए तो जो जानकारी इनको मिली वो काफी हैरान कर देने वाली थी. इन लोगों को बताया गया की आप लोगों की पेंशन बंद कर दी गया है क्योंकि ग्राम पंचायत अधिकारी की रिपोर्ट में आप लोगों को मृत घोषित कर दिया गया है.

रुक गई बुजुर्गों की पेंशन

मामले के पीड़ित फेंकई राम ने बताया कि मामला ये है कि प्रधान और सचिव मिलकर 1500 रूपए मांग रहे थे, हम नहीं दिए तो समाज कल्याण विभाग में मृतक दिखा दिए गए. वहीं एक दूसरे पीड़ित बाबूराम ने बताया कि 5-6 साल से हमें पेंशन मिल रही थी, जब हम बैंक गए और पता किया कि हमारी पेंशन आई है कि नहीं तो मैनेजर और कैशियर ने कहा की प्रधान और सेक्रेटरी ने आपको मृतक दिखा दिया है. आप हरिजन समाज कल्याण विभाग में जाएं, जब यहां आये तो बाबू ने कहा कि प्रधान और सचिव ने साल 2017 में आपको मृतक दिखा दिया है. इसलिए आपको पैसा नहीं मिलेगा.

Advertisement

सरकारी दस्तावेज में मृतक

उधर मामले की तह तक जाने के लिए आज तक की टीम चंदौली के समाज कल्याण ऑफिस पहुंची. वहां पेंशन वितरण के प्रभारी आर पी मौर्या ने बताया कि लाभार्थियों के सत्यापन के लिए समाज कल्याण ऑफिस से लाभार्थियों की सूची ब्लाक में भेजी जाती है, जहां से बीडियो (ब्लाक डेवलपमेंट ऑफिसर) ग्राम विकास अधिकारी के माध्यम से लाभार्थियों का सत्यापन करवाते हैं. तब ये रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग के डाटा में अपलोड कर दी जाती है. इसके बाद इसी डाटा के आधार पर लाभार्थियों की पेंशन उनके बैंक खाते में भेज दी जाती है, यहां पर टीम ने उस दस्तावेज को भी देखा जिनपर पेंशन के लाभार्थियों को मृत दर्शाया गया था.

अकेले पिपरिया गांव के रहने वाले सिर्फ बाबूराम और फेंकई राम ही इस मामले के पीड़ित नहीं हैं. बल्कि अंगूरा देवी, भगवानी देवी, डंगरी देवी, फुल्वासी देवी, जगनारायण, बादामी देवी, बेला देवी, पारस नाथ भी रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गए. यह लोग भी जीते जी मृत घोषित कर दी गए हैं.

मामले की जांच के आदेश

न्याय की आस में जब ये लोग चंदौली के डीएम और एसपी के पास पहुंचे और अपनी व्यथा सुनाई. एसपी संतोष सिंह ने संबंधित आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया है. वहीं जिलाधिकारी ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठित किया है.

Advertisement

चंदौली के एसपी संतोष कुमार सिंह ने 'आज तक' को बताया कि इन्होंने एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिया है. पीड़ितों का कहना है कि गांव के सेक्रेटरी और प्रधान ने इनसे पन्द्रह सौ रुपयों की मांग की और न देने पर इनको मृत घोषित कर दिया. इसी वजह से इनका राशन कार्ड समाप्त हो गया. साथ ही इनको एक साल से पेंशन मिलना बंद हो गई.

एसपी ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और अन्य समुचित धाराओं के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत करने के लिए थाना प्रभारी को निर्देश दे दिए हैं. अगर भ्रष्टाचार के चलते इन लोगों को ये पीड़ा हुई है तो कड़ी से कड़ी कार्यवाई की जाएगी. वहीं डीएम हेमंत कुमार ने बताया कि इस मामले में तीन सदस्यीय टीम गठित की है. इसमें समाज कल्याण अधिकारी, जिला आपूर्ति अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी शामिल हैं. ये तीनों अधिकारी मामले की जांच करेंगे और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सीएम योगी ने किया था एलान

अभी हाल ही में सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने चंदौली में ही एलान किया था कि सरकारी योजनाओं में लाभार्थियों से अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी घूस मांगता है तो उसका वीडियो बनायें या फोन टेप कर लें. सरकार उन लोगों के खिलाफ न सिर्फ मुकदमा दर्ज करेगी बल्कि उनकी संपत्ति भी जब्त करेगी. ऐसे में अब यह देखने वाली बात होगी की इस मामले का अंजाम क्या होता है.

Advertisement
Advertisement