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उत्तर प्रदेश के चंदौली में पावरलूम बंद पड़ी हुई हैं. चंदौली में इस तरह की तकरीबन डेढ़ हजार से ज्यादा पावरलूम हैं जो अनिश्चितकाल के लिए बंद हो गए हैं.
दरअसल, पावरलूम संचालकों और बुनकरों की सरकार से मांग है कि बिजली का बिल पहले की तरह से फ्लैट रेट से लिया जाए. क्योंकि बुनकर बिजली बिल व्यवसायिक दर से चुका पाने में असमर्थ रहे हैं. चंदौली में तकरीबन डेढ़ हजार से ज्यादा पावरलूम हैं, जो बिजली से संचालित होते हैं.
इन सभी पावरलूम संचालकों और बुनकरों का कहना है कि सरकार पहले उनसे बिजली का फ्लैट रेट लेती थी जो काफी कम हुआ करता था. लेकिन पिछले कई महीनों से सरकार ने पावरलूम की बिजली का रेट व्यवसायिक दर से लगाना शुरू कर दिया है. इसके चलते उनके ऊपर पहले की अपेक्षा तकरीबन 20 गुना से ज्यादा भार पड़ रहा है.
बुनकरों का कहना है कि एक तरफ लॉकडाउन के चलते पहले से ही उनका व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में बिजली के रेट को कमर्शियल कर देने की वजह से उनका कारोबार चौपट होने की कगार पर पहुंच गया है. चंदौली के बुनकरों ने बताया कि सरकार से उनकी मांग है कि महंगाई के अनुसार बिजली का रेट भले ही बढ़ा दिया जाए. लेकिन पहले की तरह से फ्लैट रेट का ही रखा जाए.
पावरलूम संचालकों और बुनकरों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर 15 सितंबर तक उनकी मांग नहीं मानी गई, तो सभी मिलकर सामूहिक रूप से अपने बिजली के बिल का हमेशा के लिए डिस्कनेक्शन करवा लेंगे.
पावरलूम संचालक और वस्त्र बुनकर संघ चंदौली/वाराणसी के अध्यक्ष राकेश कांत राय ने कहा कि जिले में डेढ़ हजार से ऊपर पावरलूम हैं. हम हड़ताल पर इसलिए गए हैं क्योंकि सरकार ने बिजली का कमर्शियल रेट लागू कर दिया है. एक घर में उद्योग करने वाला आदमी पूरा परिवार जुट के काम करता है और उस काम को चलाता है. वह कहां से इतना महंगी बिजली का बिल दे पाएगा.
राकेश कांत राय ने कहा कि सरकार से हमारी मांग है कि हमारी बात सुन ले और फ्लैट रेट पर बिजली दे दे. इस तरह कमर्शियल पर हम लोग चल नहीं पाएंगे. इसलिए हम लोगों ने निर्णय लिया है कि अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे. उन्होंने कहा कि अगर बिजली के दाम कम नहीं हुए हो हम लोग हमेशा के कनेक्शन कटवा लेंगे.
चंदौली के एक हैंडलूम संचालक राहुल कुमार सिंह कहते हैं कि हम बिजली का बिल भर नहीं पा रहे हैं. जो रेट है उस हिसाब से हम लोग अपना लूम चलवा नहीं सकते. हम लोग के परिवार भूखों मर रहे हैं. हम लोग के साथ जुड़े हुए लोग भूखों मर रहे हैं और बेरोजगारी बढ़ी है. सरकार जनहित में सोचे और फैसला ले.