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इनकम टैक्स के दायरे में PFI, चैरिटेबल ट्रांजेक्शन पर भी रोक, कड़े एक्शन लेने में यूपी पुलिस को मिलेगी मदद

पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने उत्तर प्रदेश में पीएफआई की लगातार बढ़ती हुई सक्रियता को देखने के बाद इस संगठन को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भी भेजा था. सरकार ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए प्रस्ताव केंद्र को भेजा था.

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यूपी पुलिस अब पीएफआई के खिलाफ सख्त एक्शन ले सकेगी. (सांकेतिक तस्वीर)
यूपी पुलिस अब पीएफआई के खिलाफ सख्त एक्शन ले सकेगी. (सांकेतिक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आयकर विभाग ने PFI की फंडिंग पर भारी चोट की है
  • कड़े एक्शन लेने में यूपी पुलिस को मिलेगी मदद

उत्तर प्रदेश में पीएफआई को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव और एटीएस द्वारा चुनाव में रोहिंग्या की आर्थिक तौर पर मदद किये जाने के मामले के बाद मंगलवार को पीएफआई को इनकम टैक्स के दायरे और चैरिटेबल ट्रांजेक्शन पर रोक लगा दी गई. अब यूपी पुलिस को पीएफआई के खिलाफ आर्थिक मामलों में कड़े एक्शन लेने में मदद मिलेगी.

आयकर विभाग ने पीएफआई की फंडिंग पर भारी चोट की है. विभाग ने पार्टी के चैरिटेबल ट्रांजेक्शन पर रोक लगाते हुए इसे टैक्स के दायरे में ला दिया है. अब पार्टी कोई भी लेनदेन टैक्स फ्री नहीं कर पायेगी. एडीजी लॉ एन्ड ऑर्डर प्रशांत कुमार के मुताबिक उत्तर प्रदेश पुलिस को भी आर्थिक मामलों में एक्शन लेने में अब मदद मिलेगी. हालांकि अभी तक जिस तरीके से केस दर्ज होते थे तो वह काफी हल्की धाराओं में किए जाते थे लेकिन अब टैक्स के दायरे में और चैरिटेबल ट्रांजैक्शन पर रोक लगने के बाद पुलिस के पास भी कोई मामला आता है तो उस ऑफेंस में वह कड़ी कार्रवाई कर सकती है. 

पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने उत्तर प्रदेश में पीएफआई की लगातार बढ़ती हुई सक्रियता को देखने के बाद इस संगठन को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भी भेजा था.सरकार ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. पीएफआई के ऊपर उत्तर प्रदेश के लखनऊ और अन्य जिलों  सीएए-एनआरसी प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप भी लगे. कानपुर और लखनऊ से पीएफआई के कई नेता गिरफ्तार भी हुए थे.

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एटीएस ने अपनी जांच में यह भी पाया था कि चुनावी एजेंडे के तहत रोहिंग्या को पीएफआई आर्थिक मदद पहुंचा रहा है. हाल ही में गाजियाबाद से गिरफ्तार रोहिंग्या नागरिकों ने अहम खुलासे किए थे. इसमें विधानसभा चुनाव में इसकी संलिप्तता और पीएफआई की फंडिंग की बात भी पता चली थी.

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पीएफआई के कई  नेता और  कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए हैं जिसमें लखनऊ पुलिस ने पीएफआई कमांडर असद बदरुद्दीन और केरल के रहने वाले ट्रेनर फिरोज खान को गिरफ्तार किया था. इसके साथ ताहिर, जुगुनू, मोहम्मद निशान, रहबर, शावेज को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था. कानपुर पुलिस ने मोहम्मद उमर, सैय्यद अब्दुल हई हाशमी, फैजान मुमताज, मोहम्मद वासिफ और सरवर आलम को जेल भेजा था.

दिल्ली शाहीन बाग से शकिलु उर्र रहमान को पकड़ा गया था जो पीएफआई के लिए फंड जुटाकर हिंसा में इस्तेमाल कर रहा था. जांच में सामने आया था कि पीएफआई अपनी शाखा सोशल डेमोक्रेटिव पार्टी ऑफ इंडिया के जरिये फंड जुटा रहा था. जांच में एसडीपीआई के खातों में कई देशों से आये फंड के बारे में जानकारी मिली थी.

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