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छन्नूलाल मिश्र के आरोपों पर अस्पताल का पलटवार, कहा- नियम के तहत हुआ इलाज, मरीज की हुई स्वाभाविक मौत

प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा की बड़ी बेटी की मौत पर जारी विवाद थमता नजर नहीं आ रहा. एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के दौरन उनकी मौत हो गई थी, जिसके बाद खुद छन्नूलाल की ओर न्याय की मांग की गई.

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मेडविन हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर मनमोहन श्याम.
मेडविन हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर मनमोहन श्याम.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • छन्नूलाल की बड़ी बेटी की हुई थी कोरोना से मौत
  • अस्पताल पर लगाया गया लापरवाही का आरोप
  • अस्पताल प्रशासन की ओर से दी घटना पर सफाई

पद्मविभूषण और 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी से प्रस्तावक रहे शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा की बड़ी बेटी की एक निजी अस्पताल में तीन सप्ताह पहले (29 से 30 अप्रैल के बीच में) मौत हो गई थी. पंडित छन्नूलाल मिश्र ने अस्पताल पर लापरवाही के आरोप लगाए, जिसके बाद अब प्राइवेट अस्पताल भी अपने बचाव में उतर आया है. अस्पताल प्रशासन की ओर से जारी बयान के मुताबिक सभी आरोप बेबुनियाद हैं, इलाज कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए हुआ है.

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इस मामले की जांच के लिए जिला प्रशासन ने डॉक्टरों के एक पैनल का गठन किया है. छन्नूलाल मिश्र ने इलाज के दौरान के सीसीटीवी फुटेज की भी मांग की है. मामले को तूल पकड़ता देखकर मेडविन हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर मनमोहन श्याम ने अपने अस्पतालों पर लगे सारे आरोपों को निराधार बताया है.

उन्होंने कहा, 'पंडित छन्नूलाल मिश्रा की बेटी संगीता मिश्रा उनके यहां गंभीर हालत में भर्ती हुई थीं. उस दौरान उनका सेचुरेशन और ब्लड प्रेशर भी कम था. 3-4 दिनों से उल्टियां भी हुई थीं. भर्ती एक उच्चाधिकारी की पैरवी पर केस क्रिटिकल होने के बावजूद लिया गया. मरीज कोरोना से ग्रसित पहले से ही थी. जब संगीता मिश्रा जब यहां भर्ती हुईं उसके 9 दिनों पहले से ही वह कोरोना के लक्षणों से ग्रसित थीं.'

'आखिर उसके साथ क्या हुआ होगा', कोरोना से बेटी की मौत के बाद पंडित छन्नूलाल ने लगाई न्याय की गुहार

कार्डियक अरेस्ट से हुई मरीज की मौत

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अस्पताल प्रशासन ने यह भी कहा, 'संगीता मिश्रा घर पर रहकर इलाज करा रही थीं लेकिन फिर उनके डॉक्टर के रेफर करने पर वह उनके अस्पताल में भर्ती हुईं. उनको सांस और खांसी की दिक्कत थी. भर्ती होने के वक्त सेचुरेशन 74 हो गया था. सारे कोविड के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए मरीज का इलाज हुआ. हम किसी मरीज का इलाज ही कर सकते हैं. इलाज के दौरान मरीज को बीच में कुछ आराम हुआ. 29 अप्रैल की सांस लेने में दिक्कत होनी शुरू हुई. फिर घर के लोगों को सूचित करके वेंटिलेटर पर डाला गया. लेकिन 29-30 की मध्यरात्रि में संगीता मिश्रा की कार्डियक अरेस्ट होने से मौत हो गई.' 

अस्पताल ने सभी आरोपों से किया है इनकार.

परिवार से मिलने न देने पर भी दी सफाई

अस्पताल प्रशासन ने इस आरोप का भी जवाब दिया है कि क्यों मरीज की तबीयत की जानकारी नहीं दी गई और मिलने नहीं दिया गया. डॉक्टर मनमोहन श्याम ने बताया कि यह आरोप सरासर गलत है. परिजन के फोन लगातार आते रहे हैं और उसकी कॉल रिकॉर्डिंग भी और वीडियो कॉलिंग का भी डिटेल है. इस दौरान परिजन वीडियो और वॉयस काल से अपने मरीज से जुड़ते रहे. इसके अलावा एक-दो दिन छोड़कर परिजन आते भी थे और उनको ब्रिफिंग की जाती थी.

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उन्होंने कहा, 'जहां तक ICU में मिलने देने की बात है तो वह खुद पीपीई किट पहनकर गई थीं. जहां तक सीसीटीवी की बात है तो सीसीटीवी उनके अस्पताल में लगा हुआ है, जो पिछली कोरोना की लहर से ही है. जब मरीज के परिजन अपने मरीज को देखना चाहते थे तो उन्हें दिखाया गया. हम सीसीटीवी का बैकअप नहीं रखते हैं. MIC और सरकार के दिशा-निर्देशों में कही भी यह नहीं है कि सीसीटीवी लगाना है.'

परिजनों के सभी आरोप बेबुनियाद

इलाज के दस्तावेजों के मांगने पर न देने के आरोपों पर अस्पताल संचालक ने बताया, 'परिजन ने कभी भी दस्तावेज मांगा ही नहीं. शुरू में एक बार मांगा भी था तो जब परिजन लड़ाई के मूड से आए थे और मैं खुद मरीजों के इलाज में व्यस्त था. इस पूरे मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी ने एक मेडिकल बोर्ड गठित की, जिसमें देखा गया कि इलाज उचित मानकों पर हुआ कि नहीं. जिसमें मेरी ओर से पूरा सहयोग किया गया. जहां तक शव को सौंपने के पहले पैसा मांगने की बात है, ये आरोप भी बेबुनियाद है.'

उन्होंने कहा कि परिजनों के आग्रह करने पर दुबारा कवर खोलकर शव को दिखाया गया. डॉक्टर मनमोहन श्याम ने पंडित छन्नू महाराज से अपील भी की कि ऐसा कोई काम न करें जिससे उनकी भावनाओं पर चोट पहुंचे. ऐसा कृत्य बहुत ही अशोभनीय है. पूरे मामले में छन्नू महाराज और उनकी छोटी बेटी अपने किए हुए का आकलन करें, जिससे आपको आत्मग्लानी होगी. पंडित छन्नूलाल मिश्रा की बेटी की मौत एक स्वाभाविक मौत थी.

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