जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने डिप्टी ग्रैंड मुफ्ती आजम नसीर उल इस्लाम के उस बयान की कड़े शब्दों में आलोचना की है, जिसमें उन्होंने मुसलमानों से हिंदुस्तान से अलग होने की बात कही थी.
सीएम महबूबा ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर न तो देश के विभाजन का पक्षकार था और न ही धार्मिक आधार पर देश के विभाजन का समर्थन किया है. हमने राज्य के रूप में विपक्ष को चुना है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि हमको इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है.''
सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''मैं भारतीय मुस्लिमों से भारत से अलग होने के किसी भी ऐसे बयान की कड़ी आलोचना करती हूं.'' दरअसल, कश्मीर के डिप्टी मुफ्ती आजम नसीर उल इस्लाम ने मुसलमानों को हिंदुस्तान से अलग होने को कहा था, जिसके बाद से देश में सियासी तूफान खड़ा हो गया है.
J&K was neither a party to the partition of our country nor did we support division on religious lines. We as a state opted for the opposite but unfortunately are still paying the price. I strongly condemn any statement made asking for Muslims in India to demand a separate state.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) January 31, 2018
कासगंज हिंसा को लेकर इस्लाम ने कहा था कि हिंदुस्तान में मुसलमान बहुत बुरी हालत में रह रहे हैं. सरकार मुसलमानों की नहीं सुनती. इतनी बात कहने के बाद मुफ्ती साहब ने कहा कि इसका एक ही इलाज है कि मुसलमानों को हिंदुस्तान से अलग हो जाना चाहिए.
इतना ही नहीं, डिप्टी मुफ्ती ने यह भी कहा कि जब 17 करोड़ की आबादी पर पाकिस्तान बन गया था, हम तो 20 करोड़ हैं. डिप्टी ग्रैंड मुफ्ती को लगता है कि कासगंज हिंसा की आड़ में मुस्लिमों से हमदर्दी की आड़ में वो अपना एजेंडा चलाएंगे और कोई इसे समझ नहीं पाएगा. जबकि हकीकत यह है कि वो बहुत बड़े भ्रम में हैं. देश ने एक बंटवारे का दर्द 1947 में देखा है. अब इसके टुकड़े करने की सोच रखने वाले नए जिन्ना कभी कामयाब नहीं होंगे. ये 1947 का नहीं, 2018 का भारत है.