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यूपी: दिमागी बुखार से बच्चे की मौत, बेटे के शव से लिपटकर रोता रहा पिता

उत्तर प्रदेश के कन्नौज से एक लापहवाही का बड़ा मामला सामने आया है. जहां पर दिमागी बुखार से एक साल के बच्चे की मौत हो गई. परिवार ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर ने समय पर बच्चे का इलाज नहीं किया और कानपुर में किसी बड़े अस्पताल ले जाने की बात बोलते रहे. जिसकी वजह से बच्चे की मौत हो गई.

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दिमागी बुखार से एक साल के बच्चे की मौत (Photo Aajtak)
दिमागी बुखार से एक साल के बच्चे की मौत (Photo Aajtak)

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  • बेटे के शव से लिपटकर रोता रहा पिता
  • अस्पताल पर लापरवाही का लगाया आरोप

कन्नौज के जिला अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे को इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई. परिजनों ने बच्चे की मौत के बाद डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. इस मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि बच्चे की हालत गंभीर थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई. किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.

मिश्रीपुर गांव निवासी प्रेम चंद्र के एक वर्षीय पुत्र अनुज को कई दिनों से बुखार था. बुखार के चलते हालत बिगड़ी तो परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे. काफी देर तक वह बच्चे को लेकर इधर- उधर लेकर भटकते रहे. इसके बाद इमरजेंसी में लेकर गए. बच्चे की हालत खराब होने की वजह से डॉ. वीके शुक्ला ने जांच करने के बाद बच्चों के डॉक्टर पीएम यादव के पास भेजा. लेकिन काफी देर तक भटकने से बच्चे की मौत हो गई.

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दिमागी बुखार से बच्चे की मौत

इस पर परिजनों ने जिला अस्पताल में हंगामा काटना शुरू कर दिया. प्रेमचंद्र ने जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उसके बच्चे के इलाज में लापरवाही बरती गई है, जिसके कराण उसके बच्चे की मौत हुई. आधे घंटे तक हंगामा करने के बाद जानकारी सीएमएस को हुई तो उन्होंने परिजनों को समझाकर शव के साथ घर भेज दिया.

सीएमएस डॉ. यूसी चतुर्वेदी ने बताया कि बच्चे को पहले इमरजेंसी में उपचार दिया गया. दिमागी बुखार होने से डॉ. पीएम यादव ने भी देखा. प्राथमिक उपचार में जितना संभव था वह सब दिया गया, लेकिन बच्चा बच नहीं पाया. बच्चे के इलाज में किसी तरह की कोई भी लापरवाही नहीं की गई है.

thumbnail_ss_062920083930.jpgबच्चे के शव से लिपटकर रोता पिता

बच्चे के इलाज में नहीं बरती गई लापरवाही

वहीं बच्चे की मौत से दुखी पिता का कहना है कि उनके बेटे को बुखार और गले में सूजन थी. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्चे को छूने से मना कर दिया और कानपुर में किसी बड़े अस्पताल में लेकर जाने को कहा. उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने वीडियो बनाना शुरू कर दिया, जिसके बाद बच्चे को इमरजेंसी रूम में जांच के लिए ले जाया गया.

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प्रेमचंद का कहना है कि जिला अस्पताल में कोई डॉक्टर उसके बच्चे का इलाज करने को तैयार नहीं था. वे कह रहे थे कि बच्चे को इलाज के लिए कानपुर ले जाओ. जब वो बाहर परेशान घूम रहा था तभी कुछ मीडिया वाले आ गए. उसके बाद डॉक्टरों ने उसे भर्ती किया लेकिन फौरन ही उसकी मौत हो गई.

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