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सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले से जुड़ी सभी फाइलें और दस्तावेज जिला जज कोर्ट को सौंपे

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मामले में सुनवाई की थी. कोर्ट ने कहा कि 17 मई को जो अंतरिम आदेश दिया गया था, वह अभी लागू रहेगा. इसके तहत शिवलिंग वाली जगह सुरक्षित रखी जाएगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद केस जिला जज को किया है ट्रांसफर (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद केस जिला जज को किया है ट्रांसफर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'शिवलिंग' वाली जगह रहेगी सील
  • वजू के लिए DM करेंगे व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सिविल कोर्ट ने शनिवार को ज्ञानवापी मामले से जुड़ी सभी फाइलें और दस्तावेज जिला जज कोर्ट को सौंप दिए हैं. सूत्रों के हवाले से यह खबर मिली है हालांकि आधिकारिक रूप से अभी तक किसी ने इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है. अब इस मामले की 23 मई से जिला जज की कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी. डॉक्टर अजय कृष्णा विश्वेशा डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज बनारस हैं जो अब ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुनवाई करेंगे.

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30 जगह न्यायिक पदों पर रह चुके हैं जज

सात जनवरी 1964 को जन्मे डॉक्टर अजय कृष्णा विश्वेशा उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रहने वाले हैं. फिलहाल उनका परिवार हरियाणा के कुरुक्षेत्र में रहता है. उन्होंने जून 1990 में मुंसिफ कोर्ट, कोटद्वार (पौड़ी-गढ़वाल) से अपने करियर की शुरुआत की थी. अजय कृष्णा का लंबा अनुभव रहा है. वे तकरीबन 30 जगह अलग-अलग पदों पर न्यायिक पदों पर रहे हैं और अपनी भूमिका का निर्वाह किया है.

वाराणसी से पहले अजय कृष्णा बुलंदशहर जिले के डिस्ट्रिक्ट जज रह चुके हैं. स्पेशल ऑफिसर विजिलेंस इलाहाबाद हाईकोर्ट रह चुके हैं. वे 31 जनवरी 2024 को रिटायर हो जाएंगे. अजय कृष्णा ने 1981 में B.Sc करने के बाद 1984 में LL.B. और 1986 में LL.M. किया है. अजय कृष्णा विश्वेशा के बारे में और अधिक जानने के लिए क्लिक करें.

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सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया है आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में कहा, 'इस मामले को सिविल जज सीनियर डिवीजन वाराणसी से जिला जज वाराणसी को ट्रांसफर किया जाए. मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए केस ट्रांसफर पर जिला न्यायाधीश द्वारा प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लिया जाएगा.' 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'हमारा 17 मई का अंतरिम आदेश फैसला आने तक और उसके बाद 8 सप्ताह तक लागू रहेगा ताकि जिला न्यायाधीश के आदेश को पीड़ित पक्ष चुनौती दे सके. तब तक वजू के लिए हम जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी से वादियों से परामर्श करने और वज़ू के लिए उचित व्यवस्था करने का अनुरोध करते हैं.'

हमारा अंतरिम आदेश वैकल्पिक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'हमारा अंतरिम आदेश वैकल्पिक नहीं है. सिविल जज सीनियर जज वाराणसी द्वारा 16 मई को पारित आदेश को 17 मई को इस अदालत के आदेश में शामिल किया जाएगा. कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है, जिस पर सुनवाई हो रही है, हम मामले से अवगत हैं.'

'हम ट्रायल कोर्ट को चलने से नहीं रोक सकते'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ट्रायल कोर्ट को चलने से नहीं रोक सकते. शांति बनाए रखने के लिए संविधान में एक ढांचा बनाया गया है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत को निर्देश देने के बजाय हमें संतुलन बनाना चाहिए.

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वहीं, अहमदी ने उपासना स्थल कानून पर चर्चा शुरू की तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये आपका दूसरा नजरिया है. हम आदेश सात के नियम 11 की बात पर चर्चा कर रहे हैं. हिंदू पक्षकार की ओर से सीनियर वकील वैद्यनाथन ने कहा कि हम न्यायाधीश के विवेक पर किसी तरह का दबाव या अंकुश नहीं चाहते. सुनवाई के दौरान पहले क्या होना चाहिए, ये जिला जज के विवेक पर छोड़ देना चाहिए.

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