उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा शुरू किया गया बहुप्रतीक्षित ‘जनता दर्शन’ कार्यक्रम अब प्राथमिकताओं से दूर हो गया लगता है. मुख्यमंत्री को आखिरी बार सार्वजनिक तौर पर जनता की समस्याएं सुने सवा साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है.
सूचना के अधिकार (RTI) कानून के तहत दी गई जानकारी में कहा गया है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ‘जनता दर्शन’ कार्यक्रम आखिरी बार पिछले साल पांच फरवरी को हुआ था.
RTI कार्यकर्ता संजय शर्मा द्वारा 20 फरवरी को दायर आरटीआई आवेदन के हाल में प्राप्त जवाब में मुख्यमंत्री सूचना परिसर के प्रभारी यशोवर्धन तिवारी ने बताया है कि 15 मार्च 2012 से 20 फरवरी 2015 तक मुख्यमंत्री के 10 ‘जनता दर्शन’ कार्यक्रम आयोजित किए गए. सूचना के मुताबिक पहला जनता दर्शन 18 अप्रैल 2012 को हुआ था. उसके बाद उसी साल ऐसे चार और कार्यक्रम हुए. साल 2013 में भी इतने ही कार्यक्रम हुए, जबकि वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री केवल एक बार ही जनता से मिले.
गौरतलब है कि इस आरटीआई का जवाब दिए जाने के तीन महीनों के बाद भी मुख्यमंत्री का कोई जनता दर्शन कार्यक्रम नहीं हुआ है. अखिलेश यादव द्वारा खुद तय किए गए नियमों के हिसाब से देखें तो साल 2012 में उनके ऐसे 16 कार्यक्रम आयोजित होने थे, जबकि 2013 और 2014 में 24-24 तथा इस साल अब तक दो कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए थे. लेकिन इन कुल 66 में से केवल 10 जनता दर्शन कार्यक्रम ही आयोजित किए गए.
प्रचंड बहुमत के साथ 15 मार्च 2012 को प्रदेश की सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जनता की समस्याएं सुनने के लिए अपने पिता मुलायम सिंह यादव द्वारा शुरू की गई ‘जनता दर्शन’ कार्यक्रम की परम्परा को दोबारा जीवन्त किया था. इन कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री खुद आम जनता से मिलकर उसका दुख-दर्द सुनते और आवेदनों पर कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते थे.
आवेदक आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने कहा कि जनता दर्शन कार्यक्रमों को लेकर आम लोगों में खासा उत्साह था. शुरू में यह कार्यक्रम हर बुधवार को होता था, जिसमें पूरे प्रदेश के लोग आते थे, लेकिन बाद में इन कार्यक्रमों में कटौती शुरू कर दी गई और उसे महीने के पहले तथा तीसरे बुधवार आयोजित करने का आदेश हुआ. हालांकि वे कार्यक्रम भी अक्सर ‘अपरिहार्य’ कारणों से टलते रहे. उन्होंने कहा कि सितम्बर 2013 में आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी की अर्जी पर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दिए गए चौंकाने वाले जवाब में बताया गया कि जनता दर्शन कार्यक्रम में आने वाली अर्जियों में से केवल 26 प्रतिशत का ही निस्तारण किया गया था. यह तो निराशाजनक था ही लेकिन बाद में मुख्यमंत्री के ‘जनता दर्शन’ कार्यक्रम ही बंद हो गए.
इनपुट: भाषा