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तीन पीढ़ी पुराना है योगी का राममंदिर कनेक्शन, आज मनेगी त्रेता युग की दिवाली

योगी के गुरु के गुरु तक राममंदिर के आंदोलन से जुड़े रहे हैं. योगी उसी परंपरा को आगे बढ़ाने में जुटे है. यही वजह है कि उन्होंने अयोध्या को संवारने के लिए सरकारी खजाना खोल दिया है.

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यूपी CM योगी आदित्यनाथ
यूपी CM योगी आदित्यनाथ

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अयोध्या से काफी पुराना नाता है. ये नाता एक-दो नहीं बल्कि तीन पीढ़ियों का है. योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के सीएम के साथ ही गोरखपुर के गोरखनाथ पीठ (इसे गोरक्षपीठ भी कहते हैं) के मंहत भी हैं. योगी के गुरु के गुरु तक राममंदिर के आंदोलन से जुड़े रहे हैं. योगी उसी परंपरा को आगे बढ़ाने में जुटे है. यही वजह है कि उन्होंने अयोध्या को संवारने के लिए सरकारी खजाना खोल दिया है.

1952 में रामलला की मूर्ति में दिग्विजयनाथ की भूमिका

योगी आदित्यनाथ के गुरु के गुरु गोरखनाथ पीठ के महंत दिग्विजयनाथ राममंदिर आंदोलन के इसके शुरूआती दौर से जुड़े रहे हैं. दिग्विजयनाथ शुरू से उग्र हिंदुत्व की राजनीति करते रहे हैं. माना जाता है कि 22 दिसंबर 1949 को अयोध्या की बाबरी मस्जिद में रामलला की मूर्ति रखने के पीछे महंत दिग्विजयनाथ की बड़ी भूमिका रही है. दिग्विजयनाथ 1951 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़े थे.

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1992 में महंत अवैद्यनाथ बने थे आरोपी

महंत दिग्विजयनाथ के बाद गोरखनाथ पीठ की विरासत महंत अवैद्यनाथ को मिली. अवैद्यनाथ ने दिग्विजयनाथ की अयोध्या विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया. दिसंबर 1992 की कारसेवा में अवैद्यनाथ मंदिर आंदोलन के अगुवा के तौर पर शामिल थे. बाबरी ध्वंस में प्रमुख बीजेपी नेताओं के साथ अवैद्यनाथ के खिलाफ भी नामजद FIR दर्ज हुई.

अटल-आडवाणी के चलते अवैद्यनाथ हिंदुत्व का चेहरा नहीं सके

अवैद्यनाथ हिंदू महासभा से जुड़े थे. उन्होंने 1962 से मनीराम विधानसभा सीट की नुमाइंदगी की. बाद को चार बार (1970, 1989, 1991 और 1996 में) वे लोकसभा की गोरखपुर सीट से जीतकर संसद पहुंचे. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में चली हिंदुत्व की राजनीति की मुख्यधारा में महंत अवैद्यनाथ को मुख्य स्थान हासिल नहीं हुआ.

योगी आदित्यनाथ राम मंदिर के अहम चेहरे

महंत अवैद्यनाथ ने 1994 में योगी आदित्यनाथ को गोरखपीठ का अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. योगी आदित्यनाथ शुरू से ही उग्र हिंदुत्व की राजनीति पर चले. उन्होंने महंत दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ की तर्ज पर राममंदिर आंदोलन को आगे ले जाने का काम किया. योगी ने अपनी एक अलग तरह से राजनीतिक धारा बनाई.  1998 में वो सबसे कम उम्र के सांसद बने. उन्होंने 'हिंदू युवा वाहिनी' का गठन किया, जो हिंदू युवाओं को धार्मिक बनने के लिए प्रेरणा देती है. अजय विष्ट से योगी आदित्यनाथ बनने के बाद वह लगातार राममंदिर आंदोलन का अहम चेहरा बने हुए हैं. अब यूपी के सीएम हैं तो भी उनके तेवर अयोध्या को लेकर नर्म नहीं हुए.

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देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होने के बाद योगी आदित्यनाथ जब अयोध्या पहुंचे तो उन्होंने कहा, 'अयोध्या के इस प्राचीन परंपरा के साथ यहां कोई आता है तो स्वाभाविक रूप से उसका जुड़ाव मर्यादा पुरोषतम भगवान श्रीराम की परंपरा के साथ जुड़ता हुआ दिखाई देता है और उसके मुंह से बरबस निकल पड़ता है जय श्रीराम.'

त्रैता युग की तर्ज पर अयोध्या में दिवाली 

योगी मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार अयोध्या पहुंचे तो 350 करोड़ रुपये से भगवान राम की नगरी को सजाने का लक्ष्य रखा है. अयोध्या में त्रेता युग की तर्ज पर योगी आदित्यनाथ आज दिवाली मनाएंगे. अयोध्यावासियों के लिए साढ़े तेरह हजार लाख की विकास योजनाओं और सुंदरीकरण के प्रोजेक्ट की सौगात देंगे.

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