जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय के बाद बीजेपी की नजर अब पश्चिमी यूपी के सबसे प्रभावशाली जातियों में से एक गुर्जरों पर है. 22 सितम्बर को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दादरी में गुर्जर समुदाय के सबसे प्रभावशाली और सम्मानित राजा मिहिरभोज की प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं.
हालांकि, इसके लिए तैयारी शुरू होते ही मिहिरभोज की जाति को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है और राजपूत समुदाय ने मिहिरभोज को अपना पूर्वज बता कर मिहिरभोज को गुर्जर कहने पर आपत्ति जतायी है. पर अगर पश्चिमी यूपी के गुर्जर समुदाय को देखें तो सीएम योगी के इस कार्यक्रम से पश्चिमी यूपी की राजनीति में बीजेपी द्वारा समीकरण को साधने के संकेत मिल रहे हैं.
राजा मिहिर भोज का इतिहास में है अहम स्थान
राजा मिहिर भोज ने 836 से 885 ईसवी तक शासन किया. उनको गुर्जर प्रतिहार वंश का राजा माना जाता है. मुल्तान से बंगाल तक के विशाल राज्य के राजा मिहिरभोज की पहचान अपने राज्य की सीमाओं की रक्षा के लिए आक्रांताओं से युद्ध करने वाले महापराक्रमी राजा की है. गुर्जर समुदाय राजा मिहिर भोज को अपना पूर्वज मानते हैं और बहुत ज़्यादा सम्मान की दृष्टि से देखते हैं. जहां सीएम योगी प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं वहाँ आस-पास सम्राट मिहिरभोज के नाम पर गुर्जर समुदाय के 6 शैक्षिक संस्थान हैं.
मिहिरभोज पीजी कॉलेज, मिहिरभोज इंटर कॉलेज(बॉयज़), मिहिरभोज इंटर कॉलेज(गर्ल्ज़),मिहिर भोज पीजी कॉलेज(गर्ल्ज़) ,मिहिर भोज ITI आस पास के क्षेत्र में गुर्जरों की बड़ी आबादी है. दादरी विधानसभा में डेढ़ लाख के क़रीब आबादी है तो नोएडा.बागपत, शामली,मुरादाबाद, ग़ाज़ियाबाद जैसे शहरों में बड़ी संख्या में गुर्जर समुदाय के लोगों की है.ख़ास बात ये है कि गुर्जर जाति राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी प्रभावशाली है और कई ज़िलों में सियासी समीकरण बनाने -बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकती है.
ये भी है पहचान
गुर्जर -प्रतिहार राजा मिहिर भोज पराक्रमी तो थे ही,साथ ही उनकी एक पहचान उनकी 'धर्म परायणता' को लेकर भी है.उनको धर्म रक्षक कहा गया है.अरब यात्री सुलेमान ने भारत यात्रा वृत्तांत में सम्राट मिहिर भोज को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु बताया है.बाद के कई वृत्तांतों में भी इस बात का ज़िक्र मिलता है कि राजा मिहिर भोज के चिह्न ‘वराह’ का बहुत ज़्यादा भय आक्रमणकारियों में था.जबकि राजा मिहिर भोज विष्णु भक्त थे.राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मिहिरभोज की ये छवि भी भाजपा को सूट करती है.
क्या है कार्यक्रम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सम्राट मिहिरभोज के नाम पर बने पीजी कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की 12 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे. दो साल पहले ये प्रतिमा तैयार की गयी थी पर कोरोना की वजह से अनावरण नहीं हो पाया था. दादरी के विधायक और इस प्रतिमा के अनावरण का कार्यक्रम रखने वाले तेजपाल नागर कहते हैं कि राजा मिहिरभोज की सिर्फ़ यूपी के नहीं, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा के भी गुर्जर समुदाय में बहुत मान्यता है. मुख्यमंत्री जी ने समय दिया है इससे यहां लोग बहुत उत्साहित हैं. मुख्यमंत्री जी नोएडा, ग्रेटर नोएडा तो आ चुके हैं पर दादरी कभी नहीं आए. ऐसे में गुर्जर समाज और अन्य लोग उनका अभूतपूर्व स्वागत करेंगे.
विपक्ष का आरोप
समाजवादी पार्टी के नेता अतुल प्रधान का कहना है कि प्रतिमा का अनावरण होना चाहिए पर टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा को वैसे तो कोई महापुरुष याद नहीं आते सिर्फ़ चुनाव के समय में ही याद आते हैं. ये तो चुनाव से पहले का स्टंट है. गुर्जर शहीद धन सिंह कोतवाल की प्रतिमा का अनावरण मेरठ के नवजीवन कॉलेज में 23 मार्च को हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किया था.इसमें समुदाय के लोग बहुत बड़ी संख्या में शामिल हुए थे.ये कार्यक्रम उसके बाद बना. भाजपा को लग रहा है कि इससे किसान जिस तरह विरोध कर रहे हैं उसमें गुर्जर समुदाय इनके साथ आ जाएगा, पर ऐसा नहीं होने वाला.
विरोध के स्वर
हालांकि, राजपूत समुदाय के लोग इस बात को लेकर विरोध कर रहे हैं कि गुर्जर राजा मिहिरभोज लिखा जा रहा है जबकि वो प्रतिहार राजवंश के राजपूत थे.पर दादरी के विधायक तेजपाल नागर कहते हैं कि ‘कहीं कोई विरोध नहीं है.आप देखिएगा मुख्यमंत्री जी का स्वागत सब लोग करेंगे.’ वहीं डॉ चंद्र मोहन कहते हैं कि भाजपा महापुरुषों की जाति नहीं देखती.
सियासी समीकरण
यूपी के मुख्यमंत्री का दादरी में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण कहना इसीलिए ख़ास है क्योंकि मिहिर भोज को धर्मरक्षक राजा के तौर पर देखा जाता है. सीएम योगी अपने सम्बोधन में इस बात का भी उल्लेख कर सकते हैं. वहीं गुर्जर उनमें अपना पूर्वज मानते हैं. गुर्जरों की लगभग 5 लाख आबादी नोएडा में है. वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा कहते हैं कि गुर्जर बीजेपी के ट्रेडिशनल वोटर रहे हैं. अब किसान आंदोलन के बाद स्थिति दूसरी है.आंदोलन में जाट नेता सक्रिय हैं. ऐसे में इसे भाजपा द्वारा अपने परम्परागत गुर्जर वोटरों को साथ लाने और उन्हें साधने की तैयारी के तौर पर भी देखा जा सकता है. जाहिर है पश्चिमी यूपी के समीकरण को साधने में इससे मदद मिल सकती है.