कोयले की किल्लत का असर उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर भी नजर आने लगा है. यूपी में भी ब्लैक आउट का संकट गहरा गया है. कोयले के स्टॉक में आई कमी का असर बिजली उत्पादन पर पड़ने लगा है. अलीगढ़ के हरदुआगंज पावर प्लांट की दो, झांसी के पारीछा पावर प्लांट की दो, ललितपुर के बाजाज पावर प्लांट की एक यूनिट से बिजली का उत्पादन ठप हो गया है. वहीं, एनटीपीसी की रायबरेली के ऊंचाहार और अंबेडकर नगर जिले के टांडा स्थित पावर प्लांट से उत्पादन भी प्रभावित हुआ है.
कोयले की कमी के चलते यूपी में बिजली संकट गहराता जा रहा है. एक तरफ जहां सूबे के अलग-अलग इलाकों में स्थित बिजली घरों में महज चंद दिन के लिए कोयले का स्टॉक बचा हुआ है.वहीं दूसरी तरफ हालात को नियंत्रण में रखने के लिए उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में कई-कई घंटे बिजली कटौती की जा रही है. जल्द हालात नहीं सुधरे तो प्रदेश के बिजली घरों में कोयले की कमी के कारण विद्युत उत्पादन ठप हो सकता है. ऐसे में आजतक ने उत्तर प्रदेश के अलग-अलग पावर प्लांट के हालात का जायजा लिया.
हरदुआगंज पावर प्लांट की दो यूनिटें बंद
अलीगढ़ के कासिमपुर में स्थित हरदुआगंज विद्युत तापीय परियोजना के तहत थर्मल पॉवर प्लांट की 3 यूनिट से बिजली उत्पादन होता है लेकिन कोयले की कमी की वजह से मात्र एक यूनिट का ही संचालन हो पा रहा है. हरदुआगंज पॉवर प्लांट में 105 मेगावाट की 7 नंबर यूनिट, 250 मेगावाट की 8 नम्बर यूनिट और 250 मेगावाट की 9 नंबर यूनिट लगी हुई है. केवल 250 मेगावाट की 8 नंबर यूनिट ही चालू है. प्लांट के जीएम सुनील कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड के धनबाद जिले में भारी बारिश की वजह से कोयला नहीं निकल पा रहा. जानकारी मिली है कि अब कोयला निकलना वहां शुरू हो गया है तो उम्मीद है कि दो से तीन दिन के अंदर कोयला आ जाएगा.
झांसी के पारीछा में दो इकाइयां बंद
झांसी के ग्रामीण इलाकों में करीब 6 से 8 घंटे की बिजली कटौती शुरू हो गई है. इसके चलते लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. बिजली विभाग के अधिकारी प्लांट से बिजली नहीं मिल पाने की बात कह रहे हैं. थर्मल पावर संयंत्र को पर्याप्त कोयला न मिलने से बिजली उत्पादन में भारी गिरावट आई है. झांसी में पारीछा स्थित थर्मल पावर प्लांट की 4 में से 2 इकाईयां पिछले छह दिनों से बंद चल रही हैं. यहां 920 मेगावाट की जगह सिर्फ 460 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है.
बजाज पावर प्लांट की एक इकाई ठप
बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में स्थित बजाज पावर प्लांट की तीन इकाइयों से 1980 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है लेकिन कोयला की कमी के कारण दो यूनिट से उत्पादन ठप था. एक दिन पहले ही कोयले की तीन रैक पहुंची है जिसके बाद प्लांट की एक और यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू हो गया है. बताया जाता है कि पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन करने के लिए इस प्लांट को हर रोज छह से सात रैक कोयले की जरूरत होती है लेकिन तीन रैक ही कोयला मिल सका है. इसकी वजह से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है.
टांडा पावर प्लांट में बचा 2 दिन का स्टॉक
कोयले की आपूर्ति प्रभावित होने का असर टांडा स्थित एनटीपीसी के पावर प्लांट पर भी पड़ रहा है. प्लांट के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 1760 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाले इस पावर प्लांट के लिए महज दो दिन का कोयला ही बचा है. इसके चलते सप्लाई में बाधा आ रही है. कोयले के संकट के चलते इस समय 75 से 80 फीसदी बिजली की ही सप्लाई हो पा रही है. इस पावर प्लांट में 440 और 660, 660 की तीन यूनिट हैं.
रायबरेली के ऊंचाहार में भी उत्पादन प्रभावित
रायबरेली जिले के ऊंचाहार के एनटीपीसी संयंत्र पर भी कोल क्राइसिस का असर दिख रहा है. उंचाहार पावर प्लांट में भी उत्पादन प्रभावित हुआ है. इकाई नंबर एक से पांच को उनकी उत्पादन क्षमता से आधे भार पर चलाया जा रहा है. वहीं पांच सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली छठी इकाई को मंगलवार की रात से बंद कर दिया गया है. जल्द ही कोयले की आपूर्ति न हुई तो इसका सीधा असर अन्य विद्युत उत्पादन की इकाइयों पर भी पड़ेगा.
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एनटीपीसी के अधिकारियों की मानें तो प्रबंधन कोयले के आयात की जुगत में लगा हुआ है. ऑस्ट्रेलिया से महंगी कीमत पर कोयला मंगाए जाने को लेकर भी बातचीत चल रही है. अधिकारियों का कहना है कि गनीमत ये है कि कुछ महीनों से उत्तरी ग्रिड की ओर से बिजली की मांग घटा दी गई है. इसकी वजह से सभी इकाइयों को उनके उत्पादन क्षमता से आधे से कम भार पर चलाया जा रहा है लेकिन ग्रिड की ओर से मांग बढ़ते ही कोयले की खपत दोगुनी हो जाएगी. ऐसी स्थिति में पर्याप्त मात्रा में कोयला न होने के चलते छठीं इकाई के साथ और इकाइयों को भी बंद करना पड़ सकता है.
ओबरा पावर प्लांट में चार दिन का कोयला शेष
सोनभद्र के ओबरा स्थित 1000 मेगावाट की तापीय परियोजना की पांच इकाइयों में से तीन में बिजली का उत्पादन हो रहा है और दो यूनिट्स से तकनीकी कारणों से उत्पादन ठप है. पीआरओ अनुराग मिश्रा के मुताबिक 200 मेगावॉट की तीन इकाइयों से 515 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है.वहीं बिजली उत्पादन के लिये कोयले का जरूरी स्टॉक चार दिन का बचा है.
क्या कहते हैं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा
बिजली संकट को लेकर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि कोयले की कमी के कारण ये संकट गहरा सकता है. इसे देखते हुए यूपी के कई जिलों के ग्रामीण इलाकों में बिजली की कटौती की जा रही है. उन्होंने कहा है कि जिला मुख्यालयों और शहरी इलाकों में बिजली की कटौती नहीं की जा रही है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय पूल से यूपी को मिलने वाली बिजली का कोटा भी कम हो गया है. उत्तर प्रदेश में जरूरत के सापेक्ष करीब आठ हजार मेगावाट बिजली की कमी दिखाई दे रही है. इसकी वजह से डिमांड और सप्लाई के बीच की खाई करीब 4000 मेगावाट बढ़ गई है.
कहां हो रही कितनी कटौती
चंदौली के ग्रामीण इलाकों में चार से छह घंटे की बिजली कटौती की जा रही है. बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता एके सिंह ने इस संबंध में बताया कि विद्युत उत्पादन प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए कंट्रोल रूम से बिजली कटौती का निर्देश मिल रहा है. उसी हिसाब से कटौती की जा रही है. चंदौली के अलावा बाराबंकी, भदोही, अंबेडकरनगर, जालौन, सोनभद्र, अमरोहा और गाजीपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में भी चार से छह घंटे तक की बिजली कटौती हो रही है.
(अलीगढ़ से अकरम, झांसी से अमित,ल लितपुर से मनीष, अम्बेडकरनगर से केके पांडेय, रायबरेली से शैलेंद्र कुमार सिंह, सोनभद्र से विधु शेखर, बाराबंकी से रेहान मुस्तफा, भदोही से महेश जायसवाल, जालौन से अलीम, अमरोहा से बीएस आर्य और गाजीपुर से विनय कुमार सिंह के इनपुट के साथ)