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'स्वयं से प्रतिस्पर्धा', 'सुशासन को मजबूती'...सीएम योगी ने बताया अगले 5 साल का एजेंडा

Uttar Pradesh Latest News: विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सभी को संबोधित किया. अपने संबोधन में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है.

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योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • निर्विरोध विधायक दल के नेता चुने गए योगी आदित्यनाथ
  • 25 मार्च को सीएम पद की शपथ लेंगे योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को बीजेपी विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. गुरुवार को लखनऊ में अमित शाह के नेतृ्त्व में हुई बैठक में योगी आदित्यनाथ निर्विरोध विधायक दल के नेता चुने गए. विधायक दल का नेता चुने जानें के बाद योगी आदित्यनाथ ने वहां पर मौजूद सभी राजनेताओं को संबोधित किया. अपने संबोधन में योगी आदित्यनाथ ने सरकार 2.0 का क्या एजेंडा है इसका भी खुलासा किया.

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योगी आदित्यनाथ ने कहा, यूपी में एक बार फिर जीतकर बीजेपी ने इतिहास रच दिया है. हमने लगातार सत्ता में आने का रिकॉर्ड बनाया है. ये हम सभी के लिए गौरव का क्षण है, जब किसी मुख्यमंत्री को दोबारा सत्ता में आने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने पिछले 5 सालों में प्रदेश में विकास की नींव डालने का काम किया. अगले पांच साल में यूपी के खोए गौरव को वापस लाने का काम किया जाएगा.

2017 से हम प्रदेश को कुशासन से सुशासन की तरफ ले गए. अब हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है. सुशासन को और कैसे सुदृढ़ करना है. इस पर हम सभी को कार्य करना है.

स्वयं से है प्रतिस्पर्धा
विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नई सरकार की लड़ाई किसी भी पुरानी सरकार के कार्यलय से नहीं है. राज्य को और कैसे बेहतर बनाया जा सकता है इसके लिए अब प्रतिस्पर्धा पिछले 5 सालों के कार्य से है. योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'हमारी सरकार ने प्रदेश की जीडीपी को बढ़ाया. आज प्रदेश दंगा मुक्त है. अब वंशवाद और जातिवाद की राजनीति नहीं चलेगी. हमने सुशासन और गरीब कल्याण के लिए काम किया. अब हम लोगों की आय को दोगुनी करेंगे. प्रदेश को नंबर वन अर्थव्यवस्था बनाएंगे. सत्ता में रहकर मालिक बनकर नहीं बल्कि सेवक बनकर काम करेंगे.'

प्रदेश में रहा है राजनीतिक अस्थिरता का माहौल
योगी आदित्यनाथ ने कहा उत्तर प्रदेश में ज्यादातर समय राजनीतिक अस्थिरता का माहौल रहा. इसका नतीजा उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिवादी और परिवारवादी पार्टियों का उदय हुआ. समाजवादी पार्टी की सरकार में राजनीति का अपराधीकरण था. उत्तर प्रदेश की जनता इससे मुक्ति चाहती थी. 2017 का समय आया और यहां की जनता को उससे मुक्ति मिली.

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सपा सरकार पर साधा निशाना
सपा सरकार में उद्योगपतियों का सम्मेलन दिल्ली में होता था. क्योंकि कोई भी उद्योगपति लखनऊ आने के लिए तैयार नहीं होता था. सपा सरकार में माफिया और गुंडे पुलिस के मालिक बन बैठे थे. गरीब की एफआईआर लिखवाने की हिम्मत नहीं होती थी. 2017 के बाद जब सत्ता में बदलाव हुआ, तो आप देख सकते हैं गुंडे और माफियाओं की क्या हालत है.
 

 

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