उत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत महिलाओं की 19 प्रतिशत की भागीदारी है, जो कि देश में सबसे कम है.
गौरतलब है कि राजस्थान में महिलाओं की 70 प्रतिशत भागीदारी है, छत्तीसगढ़ में 46 प्रतिशत, उत्तराखंड में 45 प्रतिशत और बिहार में 30 प्रतिशत की भागीदारी है. मनरेगा केंद्रीय परिषद के पूर्व सदस्य संजय दीक्षित ने सोमवार को आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार मनरेगा कर्मियों के लिए ऐसे हालात पैदा कर रही है जिससे मजदूरों का इसमें विश्वास कम हो जाए.
उन्होंने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत कार्य में लगे हुए 65 हजार संविदा कर्मियों में से आधे से ज्यादा लोगों को तीन माह से मानदेय न देकर सरकार इस योजना को बंद करने के बारे में सोच रही है.
पिछले वित्तवर्ष 2010-11 में मानव दिवस औसत कार्य को 52 दिन का कार्य दिया गया, 2011-12 में 36 दिन का कार्य और वर्तमान वित्तीय वर्ष में मात्र 24 दिन का कार्य देकर सरकार उनका मनोबल गिरा रही है, जबकि बिहार में मानव 35 दिन, उत्तराखंड में 36 दिन और छत्तीसगढ़ में 38 दिन का कार्य दिया जा रहा है.
दीक्षित ने कहा कि ग्रामीण लोगों को रोजगार देने के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाले संविदा कर्मियों को सरकार द्वारा तीन माह से मानदेय न दिए जाने के विरोध में वह 17 अप्रैल को विधानभवन के सामने अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे.