समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए पहले रायबरेली और अमेठी से अपने प्रत्याशी न उतारकर कांग्रेस को साधने का प्रयास किया, इसके बाद कांग्रेस ने कन्नौज और मैनपुरी में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे तो लगा कि बीजेपी को रोकने के लिए दोनों पार्टियों के बीच कोई 'डील' हुई है लेकिन कांग्रेस ने फूलपुर संसदीय सीट से क्रिकेटर मोहम्मद कैफ को टिकट देकर सपा की राह में कांटे बिछा दिए हैं. यादव-मुस्लिम समीकरण के सहारे सपा इस क्षेत्र में अपनी जीत पक्की मान रही थी लेकिन कैफ के आने से मुस्लिम वोट बंटना तय है. ऐसे में सपा को जीत के लिए किसी और समीकरण पर काम करना होगा.
फूलपुर संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने अभी पत्ते ही खोले हैं. कोई तगड़ा उम्मीदवार सामने आया तो इस क्षेत्र में सभी को नए सिरे से जोड़ घटाव करना होगा. बीएसपी ने काफी पहले वर्तमान सांसद कपिलमुनि करवरिया की उम्मीदवारी पक्की कर दी है. बीएसपी का कैडर वोट, ब्राह्मण वोट और शहर उत्तरी का काफी वोट कपिल के साथ है. माना जा रहा है कि कैफ ने मुस्लिमों का वोट काटा तो बीएसपी को राहत मिलेगी.
फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. पांचों विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख के आसपास है. इसमें से अकेले फूलपुर और फाफामऊ क्षेत्र में करीब एक लाख 20 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. शहर पश्चिमी विधानसभा में तकरीबन 40 हजार और सोरांव विधानसभा क्षेत्र में करीब 30 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. शहर उत्तरी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कम है लेकिन फिर भी उनकी संख्या 10 हजार से कम नहीं है.
फूलपुर और फाफामऊ में बड़ी संख्या में पटेल, मौर्य के साथ यादव बिरादरी के मतदाता भी हैं. इन मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए सपा ने करीब आठ माह पहले ही धर्मराज सिंह पटेल को फूलपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया था. मुस्लिम-यादव समीकरण के साथ पटेलों को साथ लेकर सपा यहां जीत को लेकर फिलहाल आश्वस्त दिख रही थी लेकिन कांग्रेस से कैफ के मैदान में उतरने के बाद समीकरण बदल सकते हैं. हालांकि सीट का असली समीकरण तब साफ होगा जब बीजेपी अपने पत्ते खोलेगी.