लगता है समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच दरार बढ़ती जा रही है. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दोनों नें गुरुवार को कांग्रेस पर हमले किये. मौका था समाजवादी पार्टी के पिछड़े नेताओं द्धारा पिछड़ों के हक के लिये सामाजिक न्याय यात्रा और अधिकार रथ यात्रा शुरू करने का, जिसे मुलायम और अखिलेश ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. मुलायम ने कहा कि कांग्रेस सरकार की नीयत ठीक नहीं है और यह आरक्षण खत्म करने की साजिश कर रही है. अखिलेश ने देश की खराब स्थिति के लिए केंद्र सरकार को दोषी बताया.
अखिलेश ने कहा, 'जो यूपी के हाथ में है वो हम कर रहे हैं लेकिन जिस तरह की केन्द्र सरकार की नीतियां है वह देश को गुमराह कर रही हैं. आज केन्द्र सरकार के ऊपर कई आरोप हैं. कोयले का आरोप है, 2 जी का आरोप है, ये इतने आरोप हैं जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. अगर हम लोग पैसे भी गिनना चाहें तो नहीं गिन सकते. 2 जी ,3 जी ये जो भी है स्पैक्ट्रम का मामला है, हवा का मामला है. कांग्रेस के लोगो ने और जिनपर उंगली उठ रही है उन्होंने हवा का ठेका किया है और हवा का ठेका करके बेईमानी की है, क्योंकि जो स्पैक्ट्रम है वो हवा है. यह हमें और आपको किसी को दिखाई नहीं देती. 2 जी बड़ा मामला है और भी तमाम सवाल हैं.
अखिलेश के बाद मुलायम ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुये कहा कि कांग्रेस की सरकार आरक्षण खत्म करने की साजिश कर रही है. मुलायम ने पिछड़ी जातियों को आरक्षण का पासा फेंकते हुये 'आरक्षण बढ़ाओ और आरक्षण बचाओ' का नारा दिया.
दरअसल समाजवादी पार्टी जिन सत्रह जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने और उन्हें सामाजिक न्याय और सम्मान दिलाने की बात कर रही है उसके बारे में समाजवादी पार्टी केन्द्र की कांग्रेस सरकार को पहले ही प्रस्ताव भेज चुकी है. जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री हुआ करते थे मुलायम सिंह ने कांग्रेस की नीयत पर ही सवाल उठा दिये.
मुलायम सिंह ने कहा, 'प्रस्ताव पास करके भेजा. जब यहां यूपी में सरकार थी तब प्रस्ताव पास किया. अब अखिलेश ने कैबिनेट में प्रस्ताव कर दिया है. इन जातियों को अलग-अलग आरक्षण दिया जाये. हम लोगों का है कि आरक्षण बढ़ाओ और आरक्षण बचाओ. ध्यान रखना, आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है. दो मोर्चों पर लड़ना है, एक तो आरक्षण बढ़ाओ और दूसरा आरक्षण बचाओ. अभी केन्द्र सरकार ने इस आरक्षण को खत्म करने की साजिश की थी. आपको पता चल गया होगा कि सभी यादव खड़े हो गये, इतनी मजबूती के साथ कि उनको झुकना पडा. नीयत और नीति पर ध्यान रखना. नीति कितनी भी खराब क्यों न हो नीयत सही है तो काम हो जायेगा. नीतियां कितनी भी सही क्यों न हो अगर नीयत खराब है तो कुछ नहीं होगा.'
अखिलेश की सरकार बनने पर दोबारा कैबिनेट में इस प्रस्ताव को पारित किया गया क्योंकि इससे पहले मायावती ने अपने कार्यकाल में इस प्रस्ताव को वापस ले लिया था. लेकिन मुलायम सिंह यादव ने न तो मायावती का नाम लिया और न ही लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान का नाम लिया, जहां 14 दिसंबर को रैली होने वाली है. याद दिलाने पर भी उन्होंने मैदान का नाम नहीं लिया.