केंद्र में नरेंद्र मोदी और बिहार में नीतीश कुमार की जीत के पीछे सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के आइडिया कांग्रेस कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतर पा रहे हैं. यही वजह है कि पार्टी अभी तक यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाई है.
एक तरफ एनडीए सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनावों के लिए शंखनाद कर दिया है तो दूसरी तरफ कांग्रेस खेमे में अभी तक चुनावी मुद्दे तक तय नहीं हो सके हैं.
अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' के मुताबिक कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रख प्रशांत किशोर को रणनीति का जिम्मा तो सौंप दिया लेकिन पार्टी उनके आइडिया पचा नहीं पा रही है. प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने और प्रियंका वाड्रा को चुनावी कैंपेन लीड करने का सुझाव दिया था. लेकिन उनके इन आइडिया को साइडलाइन कर दिया गया.
किशोर ने पार्टी के राज्य प्रमुख निर्मल खत्री की जगह किसी ब्राह्मण नेता को पार्टी प्रमुख बनाने का सुझाव दिया था. लेकिन कांग्रेस के उत्तर प्रदेश महासचिव मधुसूदन मिस्त्री ने इस सुझाव का यह कहकर विरोध किया कि अब नया चेहरा लाने के लिए बहुत कम समय बचा है क्योंकि 2017 में ही चुनाव होने हैं.
दूसरी तरफ कई कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि प्रशांत किशोर पार्टी के अंदरुनी कार्यों में भी दखलअंदाजी बढ़ रही है. कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है कि किशोर की भूमिका पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनावों में घोषणा पत्र तैयार करने में सुझाव देने तक ही सीमित रहेगी.