जब जरूरत हो तो ऊपरवाला याद आ ही जाता है. राहुल गांधी 6 सितंबर से यूपी चुनावी महायात्रा पर निकल रहे हैं. ऐसे में कांग्रेसी चाह रहे हैं कि वो इस यात्रा के दौरान अयोध्या भी जाएं और राम लला के दर्शन भी करें.
सूत्रों के मुताबिक, अभी कार्यक्रम तय नहीं हुआ है, लेकिन राहुल गांधी की तरफ से ऐसी मांग करने वाले नेताओं को सकरात्मक संकेत मिले हैं. हालांकि, इस मामले पर ये भी निर्देश हैं कि अभी से इसका ढोल न पीटा जाए. पार्टी अपनी तरफ से इसको बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश ना करे, जिससे ये संदेश न जाए कि राहुल और कांग्रेस राम पर राजनीति कर रहे हैं. बाकी राहुल जब जाएंगे तो जो सियासी संदेश जाना होगा वो तो चला ही जाएगा.
न हो इस पर राजनीति...
अयोध्या जाकर राम मंदिर के दर्शन के सवाल पर राहुल गांधी की इस महायात्रा के मीडिया प्रभारी आरपीएन सिंह कहते हैं कि यात्रा के दौरान अगर कोई धार्मिक स्थल पड़ता है और राहुल जी वहां आशीर्वाद लेने जाते हैं तो किसी को क्या दिक्कत है. इसे लेकर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए.
इस बार होगा ये अंदाज
2007 और 2012 के यूपी के विधानसभा चुनाव में राहुल ने पूरे यूपी में जनसभाओं का अंबार लगा दिया था, लेकिन नतीजे सिफर रहे. इसीलिए पीके ने इस बार रणनीति पूरी तरह बदल दी है. पीके ने इस बार की रणनीति में पांच खास बदलाव किए हैं...
1. पहले की तरह प्रदेश भर के नेताओं का हुजूम सिर्फ राहुल के पीछे नहीं रहेगा, पहले जहां राहुल की जनसभा होती थी, वहीं सारे पहुंच जाते थे और राहुल के जाने के बाद मामला ठंडा हो जाता था. इस बार दो यात्राएं जो निकल रही हैं, वो चलती रहेंगी.
2. इस बार कोशिश है कि राहुल का जनता से सीधा संवाद हो. इसके लिए गांवों में खास तौर पर चाय पर चर्चा की तर्ज पर खाट सभा की जाएगी. खाट पर चर्चा नाम पार्टी ने इसलिए नहीं दिया कि इसको चाय पर चर्चा की कॉपी माना जाए.
3. गरीब, किसान और मजदूरों का खास तौर पर राहुल से संवाद कराया जाएगा. उन इलाकों को छांटा गया है, जहां इनकी बस्तियां हैं. यहां पर राहुल की नुक्कड़ सभाएं और रोड शो भी होंगे.
4. इस लंबी यात्रा के दौरान एक भी बड़ी जनसभा नहीं होगी, क्योंकि ऐसे में जब सभी प्रदेश के नेता यात्राओं में निकले हैं और जिलों के नेता राहुल के कार्यक्रमों में होंगे तो बड़ी सभा करना संभव नहीं है.
इसलिए किया जा रहा है ये बदलाव
इस बदलाव पर राहुल की महायात्रा के मीडिया प्रभारी आरपीएन सिंह कहते हैं कि इस बार राहुल जी की कोशिश है कि वो किसानों, गरीबों और मजदूरों से संवाद करें. उनकी परेशानी सुनें क्योंकि जनसभा में नेता अपनी बात करके चला जाता है और आम जनता की नहीं सुन पाता.