इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च को निर्देश दिया है कि वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले और बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों को COVID19 का टीका लगाने पर विचार करें. पीठ ने महामारी की इस स्थिति से लड़ने के लिए प्रबंधन और केंद्र सरकार के राज्य अधिकारियों को कुछ दिशा निर्देश भी दिए हैं. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आगामी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि बोर्ड परीक्षा में बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी शामिल होगी. ऐसे में बोर्ड परीक्षार्थियों को सुरक्षित रखने के लिए कोविड-19 टीका दिए जाने पर सरकार को विचार करना चाहिए.
कोर्ट ने कहा, ''केंद्र सरकार और इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च को उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले और हाई स्कूल व इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को टीकाकरण का लाभ देने पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि युवा पीढ़ी की आबादी में बड़े पैमाने पर संक्रमण फैल रहा है. यदि बोर्ड और अन्य परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय ऑफलाइन परीक्षा लेने पर विचार रहे हैं तो सरकार को ऐसे छात्रों को टीकाकरण का लाभ देने के लिए व्यवहार्यता पर विचार करना चाहिए.''
कोरोना की बढ़ती रफ्तार को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रभावित क्षेत्रों में दो से तीन सप्ताह के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार करने के निर्देश दिया है. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार से कहा है कि खुले मैदानों में अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीड़ितों के इलाज की व्यवस्था की जाए.
कोर्ट ने कहा है कि जरूरी हो तो संविदा पर स्टाफ तैनात किया जाए. इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 19 अप्रैल को तय करते हुए स्वास्थ्य सचिव से हलफनामा मांगा है.
हाई कोर्ट ने कहा कि सड़क पर कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के दिखायी न दे, अन्यथा कोर्ट पुलिस के खिलाफ अवमानना कार्यवाही करेगी. कोर्ट ने कहा कि सामाजिक, धार्मिक आयोजनों में 50 ज्यादा लोग एकत्र न हों. कोर्ट ने कहा नाइट कर्फ्यू या कोरोना कर्फ्यू संक्रमण फैलाव रोकने के छोटे कदम हैं. ये नाइट पार्टी एवं नवरात्रि या रमजान में धार्मिक भीड़ तक सीमित है. कोर्ट ने कहा कि नदी में जब तूफान आता है तो छोटे बांध उसे रोक नहीं पाते हैं. हमें कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सख्त प्रयास करने चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा कि दिन में भी गैर जरूरी यातायात को नियंत्रित किया जाए. जीवन रहेगा तो अर्थ व्यवस्था भी दुरूस्त हो जाएगी. विकास व्यक्तियों के लिए है. जब आदमी ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ रह जाएगा.