आगरा स्थित ताजमहल के नामांतरण के मामले ने तूल पकड़ लिया है. आगरा के नगर निगम सदन में ताजमहल का नाम बदलकर तेजोमहालय करने का मुद्दा गरमाया रहा. भाजपा के पार्षद शोभाराम राठौर ने ताजमहल का नाम बदलने के लिए चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश किया था. अब ताजमहल के नामांतरण के प्रस्ताव पर आगरा नगर निगम सदन के अधिकार पर सवाल खड़े हो गए हैं.
सवाल उठाया जा रहा है कि क्या नगर निगम के पास ताजमहल का नाम बदलने का अधिकार है? अगर नहीं, तो क्या सदन में किसी पार्षद को ऐसा प्रस्ताव लाना चाहिए जो सदन के अधिकार क्षेत्र से बाहर का हो? बहुमत के बल पर अगर यह प्रस्ताव पास भी हो जाता है तो क्या करेंगे?
ऐसा कहा जा रहा है कि आगरा नगर निगम के सदन के पास ताजमहल का नामांतरण करने का अधिकार नहीं है. दरअसल आगरा नगर निगम के ताजगंज वार्ड 88 से भाजपा पार्षद शोभाराम राठौर ने ताजमहल का नाम तेजो महालय करने का प्रस्ताव दिया था. सदन में इस प्रस्ताव को चर्चा की सूची में शामिल कराने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. नगर निगम सदन के जानकार सवाल उठा रहे हैं कि क्या नगर निगम के पास ताजमहल का नाम बदलने का अधिकार है? अगर नहीं, तो क्या सदन में किसी पार्षद को ऐसा प्रस्ताव लाना चाहिए जो सदन के अधिकार क्षेत्र से बाहर का हो?
आगरा नगर निगम के पास ताजमहल का नाम बदलने का अधिकार नहीं
ताजमहल के नामांतरण पर महापौर नवीन जैन स्पष्ट कर चुके हैं कि आगरा नगर निगम के पास ताजमहल का नाम बदलने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो वह इस प्रस्ताव को सदन की भावनाओं की जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार के पास भेज देंगे. दरअसल ताजमहल का नामांतरण कर तेजो महालय करने के मामले पर कल आगरा नगर निगम सदन में प्रस्ताव पास नहीं हो पाया था.
इस बीच सदन में स्तूप बनाने के प्रस्ताव पर पार्षदों के बीच गहमागहमी हुई. पार्षदों ने जोरदार नारेबाजी के बीच सभापति की डाइस के सामने धरना दिया, जिस वजह से सभापति एवं महापौर नवीन जैन ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.
सदन के अनिश्चितकालीन स्थगन के बाद कांग्रेस के इकलौते पार्षद शिरोमणि सिंह का इस प्रस्ताव पर कहना है कि पार्षद प्रस्ताव लाने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन मेयर को भी अधिकार है कि वह इसे रोक सकता है. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को सूची में शामिल किया गया है तो इसे पढ़ा जाएगा. संख्या बल के आधार पर इसे पारित कराने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने कहा कि नगर निगम के पास यह अधिकार नहीं है कि वह केंद्र सरकार के किसी स्मारक का नाम बदल दें. इसे केवल कानूनी कार्यवाही के लिए भेजा जा सकता है.
कानून के जानकार वरिष्ठ अधिवक्ता बीड़ पडालिया का कहना है कि नगर निगम को ताजमहल का नाम बदलने का कोई अधिकार नहीं है. इस स्मारक पर भारत सरकार का नियंत्रण है. यह संरक्षित स्मारक है. कोई भी प्रस्ताव लाया जा सकता है लेकिन सदन इसे पारित नहीं करा सकता.
सस्ती लोकप्रियता पाने का हथकंडा बताया
इस मामले पर कांग्रेस पार्षद शिरोमणि सिंह ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए यह किया जा रहा है. चुनाव नजदीक आ रहे है. सिविल सोसाइटी संस्था के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कहा कि इन लोगों को कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 2000 में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा था कि हर आदमी इतिहासकार नहीं बन सकता है. ठीक यही बात हाईकोर्ट ने कही थी. तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने लोकसभा में बयान दिया था कि सरकार को ताजमहल के हिंदू मंदिर होने के दावे से जुड़ा कोई सबूत नहीं मिला है. इसके बावजूद सरकार क्यों इंटरटेन करती है.
पद्मश्री से सम्मानित केके मोहम्मद भी कह चुके हैं कि यह ताजमहल है और इस संबंध में सारे साक्ष्य इसी ओर इशारा करते हैं कि यह ताजमहल है.