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‘वैक्सीन के बाद भी तो मर रहे लोग’, अलीगढ़ में टीका ना लगवाने के अलग-अलग बहाने बना रहे लोग

देश में जारी वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार के बीच एक बड़ा संकट अलग-अलग भ्रांतियों का भी है. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कई लोग टीका लगवाने से बच रहे हैं, इसके पीछे किस्म-किस्म के तर्क भी दे रहे हैं.

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वैक्सीन को लेकर फैली है भ्रांति (फाइल फोटो: PTI)
वैक्सीन को लेकर फैली है भ्रांति (फाइल फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अलीगढ़ में वैक्सीन लगवाने से इनकार कर रहे लोग
  • वैक्सीन को लेकर फैली हैं अलग-अलग भ्रांति

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच वैक्सीनेशन का काम भी चल रहा है. हर रोज़ करीब 20 लाख वैक्सीन की डोज़ लगाई जा रही हैं, इतने बड़े देश में वैक्सीनेशन की ये रफ्तार काफी सुस्त है. लेकिन इस सुस्ती से अलग एक और संकट भी है, वो है लोगों में वैक्सीन को लेकर फैली अलग-अलग भ्रांतियां. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कई लोग वैक्सीन लगवाने से इनकार कर रहे हैं, इसके पीछे अलग-अलग तर्क भी दिए जा रहे हैं. 

अलीगढ़ में वैक्सीन को लेकर भ्रम का हाल ये है कि श्मशान घाट में काम करने वाले लोग भी टीका लगवाने से इनकार कर रहे हैं, जबकि इस वक्त कोरोना का खतरा उनपर भी काफी ज्यादा है. लकड़ी का काम करने वाले देवेंद्र कुमार यूं तो वैक्सीन को फायदेमंद बता रहे हैं, लेकिन उनका कहना वैक्सीन लगवाने के बाद आधे घंटे इंतजार करना पड़ता है.

देवेंद्र का कहना है कि अगर उस वक्त कुछ साइड इफेक्ट हुआ तो इलाज कौन करेगा. अभी तक उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई है. ऐसे में देवेंद्र का कहना है कि ना तो वो वैक्सीन लगना रहे हैं, ना ही अपने परिवार को लगवा रहे हैं. 

‘जबतक मौत नहीं लिखी, कोई मरने वाला नहीं’
अलीगढ़ के ही एक श्मशान में लकड़ी का काम करने वाले अवधेश का कहना है कि जब तक ऊपर वाले ने मौत नहीं लिखी है, तो कोई मरने वाला नहीं है. हम समाज सेवा में लगे हैं, वैक्सीन लगवाने का टाइम नहीं है. 

पूरे शहर में ऐसी ही बेतुकी दलीलों की वजह से लोग वैक्सीन लगवाने से इनकार कर रहे हैं. उनके लिए करोड़ों लोगों का सुरक्षित रहना मायने नहीं रखा. बस एक ही दलील को लेकर बैठे हैं कि वैक्सीन लगवाने वालों की भी मौत क्यों हो रही है? स्थानीय सब्जी विक्रेता का कहना है कि वैक्सीन लगवाने का क्या फायदा, उसके बाद भी तो लोग मर रहे हैं.

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वैक्सीन ही एकमात्र उपाय
बता दें कि अभी तक देश में वैक्सीन के बाद कोई बड़ी दिक्कत होने के काफी कम केस सामने आए हैं. कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन के मामले में दर्ज ब्रेकथ्रू केस की बात करें तो कोवैक्सीन के बाद एक हजार लोगों में 4 को जबकि कोविशील्ड के केस में 1 हजार लोगों में 3 को फिर से कोरोना होने का खतरा रहता है.

वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना के मामले सिर्फ हिंदुस्तान में सामने नहीं आए हैं. दुनिया के कई देशों में ब्रेकथ्रू केस दर्ज किए गए हैं. उनमें से एक अमेरिका भी है जो अब अपनी आधी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लगाकर मास्क से छूट दे रहा है. हालांकि, तमाम तर्कों के बीच कई स्टडी में साफ हुआ है कि कोरोना के महासंकट के बीच वैक्सीन ही एक मात्र रामबाण उपाय है. 

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(रिपोर्ट: आजतक ब्यूरो)


 

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