ओवररेटिंग और कम राशन देने की शिकायत करना उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के मुबारकपुर निवासी गुलाबधर पर भारी पड़ गया. अफसरों ने कोटेदार के खिलाफ तो कार्रवाई नहीं ही की, गुलाबधर को निर्दोष होने के बाद भी सलाखों के पीछे भेज दिया.
इतना ही नहीं, अफसरों ने उसके घर को भी जब्त कर लिया और जानवरों को नीलाम कर दिया. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आदेश पर मामले की इलाहाबाद मंडल के कमिश्नर ने जांच कराई, लेकिन न तो उसे मुआवजा मिला और न ही मकान. अब छह जून से यह वृद्ध विधानसभा के सामने आमरण अनशन पर बैठा है.
अफसरों ने इसकी बात भले ही मुख्यमंत्री के पास न पहुंचाई हो, लेकिन हालत बिगड़ने पर अस्पताल में इलाज कराया और फिर उसी स्थान पर छोड़ दिया जहां वह आमरण अनशन कर रहा था. गुलाबधर ने शनिवार को बताया कि गांव के कोटेदार द्वारा उपभोक्ताओं को मानक के अनुरूप राशन न देने और ओवर रेट लेने की शिकायत उसने परगनाधिकारी से की थी.
शिकायत के बाद परगनाधिकारी ने दुकान को दूसरे कोटेदार से संबद्ध कर दिया और कार्रवाई की इतिश्री कर ली. कोटेदार के खिलाफ कार्रवाई न होने पर अपने जानवरों के साथ डायट में धरना देने पहुंच गया. धरना को अवैधानिक मानते हुए पुलिस ने उसे शांतिभंग में गिरफ्तार कर लिया और परगनाधिकारी के समक्ष पेश किया.
परगनाधिकारी ने भी जानवर व मकान की चाभी को जब्त करते हुए उसे जेल भेज दिया. पंद्रह दिन तक वह जेल में रहा. इसी दौरान उसके जानवर नीलाम कर दिए गए.
जेल से वापस आने के बाद उसने मकान की चाभी व जानवर मांगे तो दोनों चीजें नहीं मिलीं. मकान पर कब्जा वापस न मिलने के कारण उसने मुख्यमंत्री अखिलेश के दरबार में फरियाद लगाई तो मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद के कमिश्नर को जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए.
इस आदेश पर कमिश्नर ने अपर आयुक्त कनक त्रिपाठी को मौके पर भेजा तो पाया गया कि चाभी खो गई है. अपर आयुक्त ने डुप्लीकेट चाभी दिलाने की बात कही, लेकिन गुलाबधर का कहना है कि इस अवधि में उसका मकान ध्वस्त हो गया है और जानवर भी नीलाम हो गए हैं. इस नुकसान का मुआवजा दिलाया जाए.
जांच हुई, लेकिन कोई राहत न मिलने पर उसने छह जून को अपने प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित विधानसभा के सामने आमरण अनशन शुरू कर दिया. 15 जून को हालत खराब होने पर उसे थानाध्यक्ष हजरतगंज जबरन अस्पताल ले गए, यहां दो दिन तक उपचार कराया और 17 जून को फिर अनशन स्थल पर छोड़ गए.
असहाय, वृद्ध अभी भी एक पेड़ के नीचे आमरण अनशन पर पड़ा हुआ है. इसका कहना है कि जब तक उसे न्याय नहीं मिलता, वह डटा रहेगा, भले ही जान क्यों न चली जाए.