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'चाय पर शादी' से बुलंदशहर के गांव का नाम बुलंद

नोटबंदी के फैसले के बाद उन्होंने कई बार बैंक से कैश निकालने की कोशिश की लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई. यही हाल वधू पक्ष का भी था.

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सिर्फ चाय पिलाकर की शादी
सिर्फ चाय पिलाकर की शादी

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नोटबंदी की वजह से शादियों वाले घरों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बैंकों से कैश निकलने में कठिनाइयों की वजह से इन्हें या तो शादी की तारीख को टालना पड़ा है या शादी के कार्यक्रम को बहुत ही सीमित करना पड़ा है. ऐसे में यूपी के बुलंदशहर जिले में रविवार को एक ऐसी भी शादी हुई जिसकी हर तरफ चर्चा है. यहां वर और वधू पक्ष ने तय किया कि शादी में आए मेहमानों को सिर्फ चाय ही पिलाई जाएगी. बिना दहेज संपन्न हुई इस शादी में सजावट जैसा कोई तामझाम भी नहीं किया गया.

बैंक से नहीं मिल पाया कैश

दरअसल, बुलंदशहर के जलीलपुर गांव के रहने वाले बिजेंद्र सिंह के बेटे दिनेश की शादी जेपी नगर के मुरैठा गांव के रहने वाले कालीचरण की बेटी बीना से 4 दिसंबर को होनी तय हुई थी. बिजेंद्र सिंह ने बताया कि नोटबंदी के फैसले के बाद उन्होंने कई बार बैंक से कैश निकालने की कोशिश की लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई. यही हाल वधू पक्ष का भी था. ऐसे में दोनों पक्षों ने तय किया कि शादी को बिना किसी तामझाम किया जाएगा. वर पक्ष ने वधू पक्ष को 4 दिसंबर को जलीलपुर में ही बुला लिया. शादी में आए मेहमानों का गांव के स्कूल में चाय पिलाकर स्वागत किया गया.

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गांव के मंदिर में फेरे संपन्न हुए. बिना बैंड बाजा संपन्न हुई इस शादी में महिलाओं ने ढोलक की थाप पर नाचकर खुशी मनाई.

बिजेंद्र सिंह ने कहा कि उनके घर में बेटे की बहू के तौर पर लक्ष्मी आ रही है, इससे बड़ी बात क्या हो सकती है. बिजेंद्र सिंह के मुताबिक इसीलिए उन्होंने दान-दहेज से दूर रहने का फैसला किया.

बिजेंद्र सिंह और वधू के पिता कालीचरण दोनों का ही कहना था कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले का पूरा समर्थन करते हैं. शादी में मेहमान के तौर पर शामिल हुए रणबीर सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में इस तरह की शादी नहीं देखी, लेकिन ये एक बहुत अच्छी मिसाल है. इससे लोगों में शादियों में फिजूल खर्च रोकने और दहेज जैसी बुराइयों से दूर रहने का संदेश जाएगा.

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