उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़ोन के एडीजी के पद पर तैनात किये गए 91 बैच के आईपीएस अफसर दावा शेरपा को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड के मुताबिक 2008 में ही शेरपा वीआरएस लेकर दार्जिलिंग चले गए थे. 2009 में दार्जिलिंग से उनका चुनाव लड़ना लगभग तय भी हो गया था.
उन्होंने विधिवत बीजेपी ज्वॉइन भी कर ली थी, लेकिन बीजेपी ने जब टिकट नहीं दी और जसवंत सिंह ही चुनाव लड़े तो शेरपा ने फिर से यूपी लौटने का फैसला कर लिया.
बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद दावा शेरपा अखिल भारतीय गोरखा लीग के सदस्य बन गए. बाद में उस पार्टी के संयोजक भी बने, लेकिन राजनीति जब रास नहीं आई और दार्जिलिंग की राजनीति में तवज्जो नहीं मिली तो वह वापस उत्तर प्रदेश लौट आए, जहां उन्हें दोबारा से अपनी जगह बनाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी और आखिरकार 2012 में उन्हें फिर से डीआईजी बनाया गया.
योगी सरकार ने सर्विस ब्रेक कर चार साल से अधिक तक लापता रहने वाले 1991 बैच के आईपीएस अफसर दावा शेरपा को एडीजी ज़ोन गोरखपुर की ज़िम्मेदारी दी है.
दावा शेरपा 2009 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोक सभा का चुनाव लड़ने दार्जिलिंग गए थे. वे वहीं के निवासी हैं, पार्टी ने उनके नाम का एलान भी कर दिया था. दावा शेरपा यूपी के आज़मगढ़, सोनभद्र, भदोही, सुल्तानपुर, सीतापुर, कुशीनगर और मुज़फ्फरनगर के एसपी रह चुके हैं.
दावा शेरपा अचानक ही वीआरएस अप्लाई कर दार्जिलिंग चले गए थे, विभाग ने उनके बारे में छानबीन की तो पता चला कि उन्होंने अपना इस्तीफा भी भेज दिया था. वे राजनीति में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन राजनीति में किस्मत ने साथ नहीं दिया तो वे फिर पुलिस की सेवा में लौट आये.
2012 में काफी जद्दोजहद के बाद ज्वॉइनिंग भी मिल गई. एक जनवरी 2016 को दावा शेरपा प्रमोट होकर एडीजी बने वर्तमान में दावा शेरपा एडीजी सीबीसीआईडी के पद पर तैनात थे. कभी BJP का चोला धारण करने वाले इस पुलिस अधिकारी को योगी आदित्यनाथ के इलाके का एडीजी बनाए जाने के बाद सियासत भी गरमा गई है.