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UP Election: पर्चा खारिज होने पर 'मृत' उम्मीदवार पहुंचा हवालात, वाराणसी में हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा

उत्तर प्रदेश में नामांकन के पर्चे खारिज होने पर कई उम्मीदवार मायूसी हो गए. अपने जिंदा होने के प्रमाण के लिए साल 2012 से चुनाव लड़ने वाले संतोष मूरत सिंह का पर्चा भी खारिज हो गया. जिसे लेकर उसने जिला मुख्यालय में खूब ड्रामा किया.

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खुद को ज़िंदा साबित करने के लिए लड़ रहा था चुनाव
खुद को ज़िंदा साबित करने के लिए लड़ रहा था चुनाव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • खुद को ज़िंदा साबित करने के लिए 2012 से लड़ रहा है चुनाव
  • पुलिस ने किया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश में विधानसभा के अंतिम चरण के चुनाव के मद्देनजर, आज यानी शुक्रवार को नामांकन के पर्चे खारिज होने पर कई उम्मीदवारों को मायूसी हाथ लगी. वाराणसी में नामांकन खारिज होने पर, जिला मुख्यालय पर एक हाई वोल्टेज ड्रामा उस समय देखने को मिला जब अपने जिंदा होने के प्रमाण के लिए साल 2012 से चुनाव लड़ने वाले संतोष मूरत सिंह का पर्चा भी खारिज हो गया. 

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विधानसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी चुनाव मैदान उतरने का ख्वाब सजाए उम्मीदवारों को काफी झटका लगा, क्योंकि अंतिम चरण के होने वाले मतदान में हुई जांच के बाद तमाम पर्चे खारिज हो गए. पहले से ही सुर्खियों में रहने वाले और अपने जिंदा होने के प्रमाण के लिए वर्ष 2012 से चुनाव लड़ने वाले संतोष मूरत सिंह का भी पर्चा खारिज हो गया. फिर क्या था, संतोष ने अपना आपा खो दिया. जिला मुख्यालय के गेट से निकलते हुए उसने वहीं एडीएम सिटी गुलाबचंद के पैर पकड़ लिए और न्याय की गुहार लगाने लगा.

एडीएम सिटी के पैरों में गिर गया संतोष

जब बात नहीं बनी, तो अपने जीवित होने के प्रमाण के लिए संतोष मूरत की गिरफ्तारी कराने की जिद को लेकर, पुलिस की जीप के आगे बैठ गया और फफक फफककर रोने लगा. पुलिस के जवानों ने उसे बड़ी मुश्किल से सड़क से हटाया. फिर क्या था, पुलिस ने उसकी इच्छा पूरी करते हुए उसपर शांति भंग करने की आशंका के आरोप में हिरासत में ले लिया और थाने ले गई. 

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पुलिस की जीप के सामने धरने पर बैठा

इस दौरान संतोष ने चुनाव प्रक्रिया पर काफी गंभीर आरोप भी लगाए. उसने बताया कि साजिश के तहत उसका पर्चा खारिज किया गया है. सीएम योगी पर आरोप लगाने के अलावा उसने वाराणसी के शिवपुर विधानसभा से भाजपा विधायक और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर पर भी आरोप मढ़ा. इसी जगह से संतोष ने पर्चा भरा था. संतोष ने आरोप लगाया कि कहीं ना कहीं सत्ता मैं बैठे लोगों को डर था कि संतोष अपनी लोकप्रियता के कारण जीत न जाए. इसलिए ऐसा कदम उठाया गया है. संतोष का नामांकन रद्द होने के पीछे वजह शपथ पत्र की त्रुटि बताई गई. लेकिन संतोष इस बात से इत्तफाक नहीं रखते हुए हाई कोर्ट जाकर चुनाव आयोग की शिकायत करने की बात कहता रहा. 

पुलिस ने शांति भंग करने की आशंका पर किया गिरफ्तार

आपको बता दें कि संतोष वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र के छितौनी गांव का रहने वाला है और साल 2012 से राष्ट्रपति के चुनाव में पर्चा भरने से लेकर, आगे होने वाले सभी विधानसभा लोकसभा यहां तक कि पंचायत चुनाव में भी पर्चा भर चुका है. संतोष ने विधानसभा चुनाव के लिए कानपुर से भी पर्चा भरा था. लेकिन बार-बार उसका पर्चा खारिज होते आया है. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में संतोष ने वाराणसी से चुनाव भी लड़ा था और 7200 वोट भी पाए थे. बीते पंचायत चुनाव में भी वह बीडीसी सदस्य के पद पर खड़ा होकर चुनाव लड़ चुका है. इस बार वाराणसी के विधानसभा शिवपुर से पर्चा भरा, जो खारिज हो गया. 

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दरअसल, संतोष 21 साल पहले फिल्म स्टार नाना पाटेकर के साथ मुंबई चला गया था. इसका फायदा उठाकर, उसकी जमीन को पाटीदारों ने धोखे से राजस्व विभाग में मृत घोषित कराकर और मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में मरने की बात बताकर अपने नाम करा लिया. तभी से संतोष खुद को जिंदा साबित करने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ता. 

इनपुट- रौशन जायसवाल

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