यूपी के गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अपने भड़काऊ भाषणों के कारण पहले से चुनाव आयोग की आंखों में चुभ रहे आदित्यनाथ ने बुधवार को एक और कारनामा कर दिखाया है. प्रशासन और आयोग को खुली चुनौती देते हुए सांसद ने बुधवार को लखनऊ में प्रशासनिक रोक के बावजूद रैली को संबोधित किया. मामले में चुनाव आयोग ने भी संज्ञान लेते हुए लखनऊ के डीएम से दो दिनों के अंदर रिपोर्ट की मांग की है.
गौरतलब है कि लखनऊ के मुंशी पुलिया में बुधवार शाम बीजेपी सांसद की रैली होनी थी. जिला प्रशासन ने सांसद को रैली की इजाजत नहीं दी थी. ऐसे में रोक के बावजूद योगी आदित्यनाथ शाम को जनसभा को संबोधित करने पहुंच गए. इस दौरान उन्होंने सपा सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया और कहा कि प्रदेश सरकार सांप्रदायिक एजेंडे को बढ़ावा दे रही है. आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी में ढाई साल में 450 दंगे हुए और यह सपा सरकार की विफलता का परिणाम है.
रैली को जिला प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के लिए भी योगी आदित्यनाथ ने सपा सरकार को कोसा. उन्होंने कहा कि इजाजत का नहीं मिलना राजनीति से प्रेरित है और यह सब सरकार के दबाव में हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उन्हें परेशान करके रखा है, वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि सांसद के लोगों ने खुद ही मुंशी पुलिया में रैली का आवेदन वापस ले लिया और इसलिए रैली की अनुमति नहीं दी गई. लखनऊ डीएम की ओर से बताया गया कि उक्त स्थान पर कांग्रेस और सपा को भी रैली की अनुमति नहीं दी गई है.
दूसरी ओर, सांसद के संबोधन के कुछ ही घंटों बाद चुनाव आयोग ने भी मामले में संज्ञान लेते हुए लखनऊ के डीएम को नोटिस जारी कर दिया. आयोग ने रोक के बावजूद रैली के आयोजन पर डीएम से दो दिनों के अंदर रिपोर्ट की मांग की है.
यह तो खुली चुनौती है: कांग्रेस
योगी आदित्यनाथ की लखनऊ रैली पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कांग्रेस की ओर से रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और सीधे तौर पर चुनाव आयोग को खुली चुनौती है. जोशी ने आगे कहा, 'उन्होंने जो किया वह एक गलत संदेश देता है. इसकी जांच होनी चाहिए. यह चुनाव आयोग को खुली चुनौती की तरह है. हम इसकी शिकायत करेंगे.'
मामले में सपा नेता गौरव भाटिया ने कहा कि चुनाव आयोग को योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. यह दिखाता है कि उनका संविधान में विश्वास नहीं है. वह सीधे तौर पर कानून के खिलाफ हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? बीजेपी के सभी नेता चुप हैं. जनता वोट के जरिए उन्हें सबक सिखाएगी.