पश्चिमी यूपी के कद्दावर कांग्रेसी मुस्लिम नेता रशीद मसूद के जेल जाने के बाद से पार्टी नए सिरे से मुस्लिमों के बीच अपनी जगह बनाने में जुट गई है.
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के साथ इत्तेहाद-ए-मिल्लत कौंसिल के अध्यक्ष और मुस्लिमों में बरेलवी संप्रदाय के मौलाना तौकीर रजा की मुलाकात से उपजी राजनीतिक गरमाहट अभी ठंडी ही हुई थी कि शनिवार, 9 नवंबर को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और केंद्रीय राज्यमंत्री तारिक अनवर से गुफ्तगू पर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं. मौलाना यूपी में सपा के साथ हैं तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी का समर्थन कर रहे हैं.
शनिवार को संभल के कल्कि महोत्सव में मौलाना तौकीर रजा, दिग्विजय सिंह और तारिक अनवर के साथ एक मंच पर रहे. उनमें गुफ्तगू भी हुई. एक-दूसरे की तारीफ भी की. दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यक मामलों में कांग्रेस के नीति निर्धारक समझे जाते हैं, इसलिए इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव में मौलाना तौकरी रजा ने कांग्रेस का समर्थन किया था लेकिन बाद में वे नाराज हो गए थे. कांग्रेस अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव से पहले मौलाना का समर्थन हासिल करने की जुगत में हैं. हालांकि मौलाना तौकरी रजा ने सपा को लोकसभा चुनाव के लिए समर्थन दे रहे हैं. इसके लिए उन्होंने प्रदेश सरकार के सामने कई मांगें रख दी हैं. कुछ पर कार्यवाही हो चुकी है और कुछ अभी लंबित है.
मौलाना कई बार सरकार के रवैये पर नाखुशी जताकर अपनी लालबत्ती तक लौटाने की चेतावनी दे चुके हैं. वह कह चुके हैं कि सपा को समर्थन केवल यूपी तक ही सीमित है और केवल मोदी का डर दिखाकर ही मुस्लिमों का समर्थन नहीं बटोरा जा सकता. मुजफ्फरनगर दंगे के बाद मुस्लिमों में सपा के प्रति बनी नाराजगी को भुनाने के लिए कांग्रेस ने मौलाना से अपने रिश्ते दुरुस्त करने के लिए वरिष्ठ नेताओं को आगे कर दिया है.