उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए सपा ने अपनी तीनों सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए हैं. डिंपल यादव का राज्यसभा जाना बुधवार तक लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तीसरी राज्यसभा सीट पर आरएलडी चीफ जयंत चौधरी को प्रत्याशी बना दिया. ऐसे में अब डिंपल यादव राज्यसभा नहीं जा रही हैं, जिसके बाद अब उनके आजमगढ़ लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई है.
चुनाव आयोग ने बुधवार को आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा की है. सूबे की इन दोनों सीटों पर 23 जून को उपचुनाव है. ऐसे में सूत्रों का कहना है कि आजमगढ़ लोकसभा सीट से अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को कैंडिडेट बना सकते हैं. बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव किसी भी सूरत में आजमगढ़ सीट खोना नहीं चाहते इसलिए उन्होंने वहां से डिंपल को उतारने की तैयारी की है.
आजमगढ़ संसदीय सीट छोड़ने के बाद अखिलेश यादव कई बार आजमगढ़ का दौरा कर चुके हैं. इस दौरान वह लोगों का कार्यकर्ताओं का मन भी टटोल चुके हैं. ऐसे में यादव परिवार से बाहर किसी दूसरे नेता को टिकट देकर उपचुनाव में उतारने पर स्थानीय नेताओं से बगावत का खतरा माना जा रहा है.
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर करीब 19 लाख मतदाता हैं, जिसमें सबसे ज्यादा करीब साढे़ चार लाख यादव वोट हैं. मुस्लिम और दलित तीन-तीन लाख हैं जबकि शेष अन्य जाति के हैं. ओबीसी में यादव जिस तरह से सपा के कोर वोटर हैं तो वहीं दलितों में बसपा का मूल वोटबैंक माने जाने वाले जाटवों की संख्या अधिक है. बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को प्रत्याशी बनाकर मुस्लिम व दलित को एकजुट रखने का दांव पहले ही चल दिया है.
वहीं, सपा के सामने आजमगढ़ में अपने विजय रथ को जारी रखने के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. पिता की सियासी विरासत संभालने के लिए अखिलेश यादव जिस तरह 2019 में आजमगढ़ सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे. उसी तर्ज पर सपा अब अखिलेश की सीट से डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारकर यादव-मुस्लिम वोटों के समीकरण के सहारे अपने सियासी वर्चस्व को बनाए रखना चाह रही है.
दरअसल, सपा ने अपने कोटे की तीन राज्यसभा सीटों के लिए कैंडिडेट घोषित कर दिए हैं. इनमें सपा के टिकट पर जावेद अली राज्यसभा जा रहे हैं. वहीं निर्दलीय कपिल सिब्बल और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को सपा समर्थन दे रही है.
सूत्रों का यह भी कहना है कि सपा प्रमख अखिलेश यादव के सामने दिल्ली में अपने सरकारी बंगले को बचाए रखने के लिए पत्नी डिंपल यादव को संसद भेजना मजबूरी बना गया है. डिंपल यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से हार गई थीं और अखिलेश यादव आजमगढ़ से जीत गए थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव करहल सीट से विधायक चुने गए इसके बाद उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. अगर ऐसा ही रहा तो उन्हें दिल्ली का सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है.
फिलहाल यूपी की दोनों खाली लोकसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हो गई है. ऐसे में डिंपल यादव का आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है. हालांकि बीच-बीच में कई नाम आते रहे लेकिन बदले हुए हालात में डिंपल का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है.