उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (UP Divyangjan Sashaktikaran Vibhag) में दिव्यांगजनों की पेंशन में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. यह फर्जीवाड़ा लाभार्थियों की पेंशन ट्रांसफर करने के दौरान हुआ है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में करीब 8 लाख लोगों को मासिक पेंशन दी जाती है, लेकिन हाल के दिनों में लखनऊ आदि जिलों में शिकायत मिली कि कुछ महीने से करीब 100 लोगों का पेंशन का पैसा उनके खातों में नहीं पहुंचा है. जब विभाग में जांच शुरू हुई तो पता चला कि पैसे तो ट्रांसफर हुए हैं लेकिन वह किसी और खाते में गए हैं.
इसकी जानकारी होते ही विभाग के अधिकारियों के कान खड़े हो गए और जब गहराई से जांच की गई तो पता चला कि पेंशन के ट्रांसफर के मामले में बड़ा खेल चल रहा है. जांच के मुताबिक, लखनऊ जिले में 112 दिव्यांगजन ऐसे निकले जिनके खाते के बजाए दूसरे खाते में रकम चली गई.
शुरुआत में विभाग ने माना कि शायद इन लोगों ने अपने खाते के बदलने के बारे में कोई निवेदन किया होगा, जिसकी वजह से दूसरे खाते में रकम गई है. लखनऊ में ही करीब 18000 दिव्यांगजनों को पेंशन दी जाती है. जिसमें से बहुत सारे लोग किन्ही कारणों से अपने खाते का नंबर कभी-कभी बदलवाते रहते हैं, लेकिन अधिकारियों को हैरानी तब हुई जब पता चला कि किसी भी दिव्यांगजन ने अपना खाता बदलने का निवेदन नहीं किया था. ऐसे में सवाल ये उठा कि आखिरकार दिव्यांगजनों के बैंक खातों में बदलाव कैसे हुआ और उसमें रकम कैसे ट्रांसफर हुई?
ज्यादा गहराई से जांच की गई तो जो सच्चाई सामने आयी वो बेहद हैरान करने वाली थी. दरअसल, इस फर्जीवाड़े में एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था जिसने एनआईसी डाटा में दिव्यांगजनों के अकाउंट नंबर बदलवा कर उन्हें पैसे ट्रांसफर करवाएं और फिर असली मालिकों तक पहुंच कर उनसे पैसे भी ले लिए. इनमें से ज्यादातर खाते हरदोई जिले के गांव के मिले. जब जांच गांव के लोगों तक पहुंची तो उन्होंने जो बताया वो और ज्यादा हैरान करने वाला था.
गांव वालों के मुताबिक़ पिछले कुछ महीनों से कुछ लोग गांव वालों से अटल पेंशन के नाम से उनका खाता नंबर और डिटेल इकट्ठा कर रहे थे. उन लोगों का कहना था कि इस खाते में सरकार की एक नई स्कीम अटल पेंशन का पैसा आएगा. गांव वालों से यह डिटेल लेकर उन्होंने एनआईसी के डाटा में बैंक अकाउंट नम्बर बदलवा दिए, फिर जैसे ही महीने का पैसा इन खातों में पहुंचा फर्जीवाड़ा करने वाले लोग गांव में फिर से पहुंच गए और सारे खाताधारकों को कुछ पैसे कमीशन दे कर बाकी पैसे खाते से निकलवा लिए और फरार हो गए.
इस मामले में लखनऊ स्थित निदेशालय ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, जिसकी जांच चल रही है. जांच कर रहे लोगों का यह भी मानना है यह काम बगैर विभाग या एनआईसी के अधिकारियों से मिलीभगत के नहीं हो सकता. एनआईसी की जानकारी और सहमति के बगैर किसी का कोई भी रिकॉर्ड वेबसाइट पर चेंज नहीं किया जा सकता. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिरकार ये फर्जीवाड़ा करने वालों के नेटवर्क में ऐसा कौन है जो कि डाटा बदलने का काम कर रहा था. लखनऊ के अलावा कानपुर, हरदोई, मेरठ आदि जिलों में भी दर्जनों खातों से फर्जी तरीके से मैं अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के मामले आए हैं. जिनकी जांच चल रही है.
सवाल निदेशालय के अधिकारियों पर भी उठता है कि आखिरकार जब पेंशनधारियों ने अपना खाता नंबर बदलवाया ही नहीं तो उनके खाते में बगैर वेरिफिकेशन किए, नए खाते में पेंशन कैसे ट्रांसफर कर दी गई? बहरहाल सबूतों के मुताबिक, जालसाजों का नेटवर्क बहुत बड़ा है जिसमें दिव्यांगजन विभाग और एनआईसी के अधिकारी मिले हो सकते हैं. बड़ा सवाल यह भी है कि यह तो वह मामले हैं जिनमें शिकायत हुई और सब कुछ सामने आ गया. ऐसे कितने ही पेंशनधारी अभी भी होंगे जो अपनी पेंशन के इंतजार में बैठे हैं, और उन्हें यह भी नहीं पता कि उनकी पेंशन का पैसा कहीं और जा चुका है.
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