इंजेक्शन के जरिए अपनी पत्नी को मौत की नींद सुलाने वाला डॉक्टर अब पुलिस की गिरफ्त में आ है.
पुलिस की गिरफ्त में आए इस डॉक्टर का नाम अवध कपूर है. ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारियों के इलाज में एक्सपर्ट डॉ. कपूर ने अपनी इसी काबिलियत को अपनी पत्नी के कत्ल का हथियार बनाया और रच डाली एक खौफनाक साजिश. ऐसी साजिश जिसे बेनकाब करना पुलिस के लिये आसान नहीं था.
अपनी गर्भवती पत्नी ऋतु कपूर को उसकी दौलत के लिए ठिकाने लगाने के लिये इसने शहर के एक नामचीन अस्पताल में ही कत्ल की साजिश रची गई. तारीख थी 24 मई, 2012. ऋतु कपूर की तबीयत कई दिनों से खराब चल रही थी, जिसकी वजह से डॉ. अवध ने अपनी पत्नी को शहर के एक नामचीन निजी हास्पिटल में भर्ती करवाया. चूंकि मरीज का पति एक डॉक्टर था, लिहाजा उचित दवाइयां देने के बाद अस्पताल का स्टाफ निश्चित हो गया. ड्रिप के जरिए दवाइयां चल रही थीं. इसी बीच रात में अचानक डॉक्टर अवध ने एक इन्सुलिन का इंजेक्शन ऋतु की ड्रिप में डाल दिया. शरीर में पहुंचते ही इन्सुलिन ने अपना काम दिखाया और सुबह होते-होते ऋतु ने दिल का दौरा पड़ने की वजह से दम तोड दिया.
ऋतु की बहन रिचा कपूर ने कहा, 'सुबह जब मैं फ़ोन कर रही थी, तो उसका फ़ोन नहीं उठा. पहले कहा गया कि शुगर लो है. बाद में पता चला कि वह मर गई है.'
डॉ. अवध अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने की तैयारी मे थे, लेकिन यूएस में रह रही ऋतु की बहन रिचा को शक हो गया. ऋतु अक्सर अपनी बहन से डॉ. अवध के अवैध संबंधों और मायके की प्रोपर्टी को लेकर झगड़े की बातें बताती थी. शक होने पर रिचा ने लखऩऊ में ही रह रहे अपने एक रिश्तेदार को फोन कर जानकारी दी, जो पेशे से डॉक्टर था. उसने ऋतु का पोस्टमार्टम करवाया. इस बीच रिचा भी यूएस से लखनऊ आ गई. लंबी जांच-पड़ताल के बाद जब फॉरेंसिक एक्सपर्ट और जांच में जुटे अधिकारियों की रिपोर्ट सामने आई, तो सारे सबूत डॉ अवध के कातिल होने के गवाह बन गये. फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने अपनी जांच मे पाया कि इंसुलिन का जो लेवल ऋतु के शरीर में था, वह एक प्रेगनेन्ट लेडी के शरीर में खुद से हो ही नहीं सकता, जब तक उसे बाहर से इंसुलिन इंजेक्ट न किया जाये.
अस्पताल में किसी ने इंसुलिन दिया नहीं. इसके बाद जब नजर डॉ. अवध के ट्विटर एकाउंट पर गई, तो पता चला कि वे ट्विटर एकाउंट पर इन्सुलिन को लेकर रिसर्च में लगे हुये थे.
24 मई, 2012 को ऋतु की हत्या के बाद 22 फरवरी, 2013 को कुछ परिस्थितिजन्य साक्ष्य सामने आने पर मुकदमा दायर किया गया. अगस्त, 2013 में यह शातिर डॉक्टर गिरफ्तार हो सका. पुलिस का कहना है कि इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल विदेशों में सुना गया था, लेकिन हिन्दुस्तान में इंसुलिन के जरिये मर्डर का यह पहला मामला था, जिसकी जांच आसान नही थी.
बहरहाल, कानून की किताबों में एक बात हमेशा कही जाती है कि कातिल कितना ही चालाक क्यों न हो, कोई सबूत जरूर छोड़ता है.