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कफील खान जेल से छूटे, रिहाई को भुनाने के लिए एक्टिव हुई कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की नजर उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद से ही मुस्लिम मतों पर है. इसी कड़ी में कांग्रेस ने सूबे में डॉ. कफील खान की रिहाई की मुहिम चलाकर मुस्लिम को साधने का प्लान बनाया था. कफील को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहाई हुई तो कांग्रेस और सपा दोनों क्रेडिट लेने में जुट गई है. 

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डॉक्टर कफील खान के साथ कांग्रेस नेता
डॉक्टर कफील खान के साथ कांग्रेस नेता
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 20 फीसदी मुस्लिम का 127 सीटों पर प्रभाव
  • कफील के लिए कांग्रेस ने चलाया था अभियान
  • यूपी के मुस्लिम वोटों पर कांग्रेस की है नजर

उत्तर प्रदेश की सियासत में कांग्रेस अपने पैर जमाने के लिए बेताब है. पिछले तीस साल से कांग्रेस सूबे में सत्ता का वनवास झेल रही है और उसका कोर वोटबैंक भी छिटककर दूसरे दलों में चला गया है. मुस्लिम मतदाता एक दौर में कांग्रेस का मजबूत वोटबैंक हुआ करता था, जो अब सपा और बसपा के साथ है. ऐसे में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सूबे की कमान संभालने के बाद से ही मुस्लिम मतों पर नजर है. इसी कड़ी में कांग्रेस ने सूबे में डॉ कफील खान की रिहाई की मुहिम चलाकर मुस्लिमों को साधने का प्लान बनाया था. कफील को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहाई हुई तो कांग्रेस और सपा दोनों क्रेडिट लेने में जुट गई है.

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गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज से जुड़े रहे डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से मंगलवार देर रात रिहा कर दिया गया है. योगी सरकार ने डॉ. कफील खान को सीएएस एनआरसी और एनपीए के विरोध के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार कर मथुरा जेल में रखा था और उन पर एनएसए लगा रखा था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को डॉ. कफील को तुरंत रिहा करने के आदेश दिए. कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा था कि एनएसए के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेना और हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डॉ. कफील खान की रिहाई संभव हो सकी है, जिसका श्रेय कांग्रेस लेने की कोशिश में है. मथुरा जेल के गेट पर कांग्रेस नेता डॉ. कफील की अगुवाई करने के लिए पहुंच गए थे. कांग्रेस नेता व मथुरा के पूर्व विधायक प्रदीप मथुर और यूपी अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शाहनवाज आलम खुद पहुंचे और उन्होंने कफील के बाहर आते ही उन्हें माला पहनाया औऱ मिठाई खिलाकर स्वागत किया. इसके बाद कांग्रेस नेता कफील खान को अपने साथ लेकर राजस्थान चले गए. 

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कोर्ट से कफील की रिहाई का आदेश मिलते ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा, 'इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. कफील खान के ऊपर से एनएसए हटाकर उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया. आशा है कि यूपी सरकार डॉ. कफील खान को बिना किसी विद्वेष के अविलंब रिहा करेगी.' उन्होंने आगे लिखा कि डॉ. कफील खान की रिहाई के प्रयासों में लगे तमाम न्याय पसंद लोगों और उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मुबारकबाद. इस तरह से प्रियंका गांधी ने कफील खान की रिहाई को सीधे तौर पर कांग्रेस को क्रेडिट देने की कवायद की है. 

सपा भी क्रेडिट लेने में जुटी

वहीं, कफील खान पर कांग्रेस की सक्रियता को देखकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर कहा कि हाईकोर्ट द्वारा डॉ. कफील की रिहाई के आदेश का देश-प्रदेश के हम सभी इंसाफपसंद लोगों ने सहर्ष स्वागत किया है. उम्मीद है झूठे मुकदमों में फंसाये गए आजम खान को भी शीघ्र ही न्याय मिलेगा. सत्ताधारियों का अन्याय व अत्याचार हमेशा नहीं चलता. इस तरह से सपा ने कफील खान के बहाने अपने नेता आजम खान के जरिए मुस्लिमों को साधने की रणनीति अपनायी.

 

हाईकोर्ट द्वारा डॉ. कफ़ील की रिहाई के आदेश का देश-प्रदेश के हम सभी इंसाफ़पसंद लोगों ने सहर्ष स्वागत किया है. उम्मीद है झूठे मुक़दमों में फँसाये गये आज़म खान जी को भी शीघ्र ही न्याय मिलेगा. सत्ताधारियों का अन्याय व अत्याचार हमेशा नहीं चलता.

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सपा प्रवक्ता और पूर्व मंत्री अताउरर्हमान ने कहा कि कफील खान की रिहाई कांग्रेस पार्टी के चलते नहीं हुई है बल्कि सामाजिक कार्यकर्ताओं के संघर्ष के चलते हाईकोर्ट के आदेश पर बाहर आए हैं. कांग्रेस के तमाम नेता देश के बड़े वकील हैं, क्या उन्हें कफील खान की पैरवी करने के लिए कोर्ट में खड़ा किया? सपा हमेंशा से गरीब, दलित,  मुस्लिम और पिछड़ों की आवाज को बुलंद करती रही है. विधानसभा में भी कफील खान की रिहाई के लिए हमारी पार्टी ने पूरे दमखम से आवाज उठाया था. 

प्रियंका ने सीएम योगी को लिखा था खत

बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने चिट्ठी लिखकर डॉ. कफील की रिहाई की गुहार लगाई थी. प्रियंका ने कहा कि कफील खान 450 दिनों से ज्यादा जेल में गुजार चुके हैं. डॉ. कफील ने कठिन परिस्थियों में निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा की है. ऐसे में आप संवेदनशील होने का परिचय देते हुए डॉ. कफिल को न्याय दिलाने का प्रयास करेंगे. इसी के साथ प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ के उनके गुरु गोरखनाथ का मंत्र भी याद दिलाया था. इतना ही नहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू विधानसभा में कफील खान की रिहाई के लिए धरने पर भी बैठे थे. 

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डॉ. कफील खान की रिहाई के लिए कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी ने बकायदा अभियान चलाया था. कांग्रेस के कार्यकर्ता सूबे के मुस्लिम बहुल इलाकों में घर-घर जाकर मुसलमानों से हस्ताक्षर कराकर उन्हें राज्यपाल को भेजा था. कांग्रेस कार्यकर्ता डॉ. कफील की रिहाई के लिए छात्रों, नौजावनों, आलिमो, मौलानाओं, व्यवसायियों सज्जादा नशीनों से दो मिनट का वीडियो बनवाकर सोशल मीडिया में डालकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की थी. इस तरह कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय के बीच कफील खान की रिहाई को लेकर पूरी तरह माहौल बनाने की रणनीति अपनाई थी. 

यूपी में मुस्लिम सियासत

बता दें कि उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. सूबे की 403 विधानसभा सीटों में से 143 सीटें मुस्लिम प्रभावित मानी जाती हैं. इनमें से 70 सीटों पर मुस्लिम आबादी बीस से तीस फीसदी के बीच है जबकि 73 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान तीस फीसदी से ज्यादा हैं. सपा जब 2012 के सत्ता में आई थी तो उसे मुस्लिम बहुल 72 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, 2017 में मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी. ऐसे में अब कांग्रेस की नजर मुस्लिम वोटबैंक पर है, देखना है कि कफील खान के बहाने कांग्रेस कितना कामयाब होती है. 

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