समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी और योगी सरकार पर कोरोना वायरस और लॉकडाउन को लेकर निशाना साधा. साथ ही अखिलेश यादव ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर भी वार किया और कहा कि उत्तर प्रदेश में 70 हजार के करीब बसें है. अगर सरकार इसे लगा देती तो हमें किसी के बस की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि पंजाब के मजदूरों और राजस्थान के छात्रों के लिए क्यों नहीं चलाई गई बसें.
अखिलेश ने कहा कि जो बसें चलनी चाहिए थी वो शुरुआत में चलाने की जरूरत थी. यूपी में 70 हजार से ज्यादा बसें हैं, इसमें सरकारी स्कूल और प्राइवेट की बसें अगर लगा दी जाती तो एक भी मजदूर पैदल नहीं चलते. सरकार चाहती तो मजदूरों के लिए बस लगा सकती थी. जब कोटा से बच्चों को निकाला गया तो मजदूरों को क्यों नहीं निकाला गया.
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उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सीमा पर मजदूर कई-कई दिन तक पड़े रहे, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. गौशाला में 9-9 दिन तक मजदूरों को रहना पड़ा है. झांसी में मजदूर और पुलिस के बीच तनाव रहा. यूपी हरियाणा की सीमा पर मजदूर को रोके रखा गया. पंजाब में कांग्रेस की सरकार है, उसने क्यों मजदूरों के लिए बसे नहीं चलाई. अगर राजस्थान और पंजाब की सरकार चाहती तो वो बसों से मजदूरों को छोड़ सकती थी.
प्रियंका गांधी के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि मैं किसी के बारे में कोई कुछ नहीं कहना चाहता. यूपी सरकार ने मजदूरों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार से समय रहते ट्रेन क्यों नहीं मांगी. सरकार अगर चाहती तो बसें और ट्रेन चलाकर मजदूरों को ला सकती थी.
मोदी सरकार के पैकेज पर सवाल उठाते हुए अखिलेश ने कहा कि कोरोना संकट के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज दिया गया, लेकिन इसमें गरीब और किसान को क्या मिला. गरीब बेरोजगार हो गया है तो किसान काफी परेशान है. गन्ना किसान की हालत काफी खराब है और गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, लेकिन सरकार को किसान, गरीब और मजदूरों की कोई चिंता नहीं है.
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उत्तर प्रदेश के क्वारनटाइन सेंटर को लेकर अखिलेश यादव ने सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि सीएम योगी के इलाके सहजनवा के क्वारनटीन सेंटर में सांप निकला तो गोंडा के एक सेंटर में सांप काटने से एक युवक की मौत हो गई. क्वारनटीन सेंटर की हालत ऐसी है कि वहां लोगों को खाना-पानी भी नहीं मिल रहा है. यूपी सरकार जिस आगरा को मॉडल के तौर पर पेश कर रही थी, उसका नजारा तो सभी ने देखा है. आगरा मॉडल तो पूरी तरह से फेल हो गया है.
अखिलेश यादव ने कहा कि क्वारनटीन सेंटर की हकीकत बताने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है. सीतापुर में एक पत्रकार ने सच्चाई बताई तो उस पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया, सच बोलने की सजा दी जा रही है. कोरोना महामारी मेडिकल समस्या है, जिसे यूपी क्रिमनलाइज कर रहा है. मुकदमे दर्ज कर लोगों को डराया जा रहा है ताकि सेंटर की सच्चाई समाने न आ सके. सेंटर की हालत ये है कि वहां पर लोगों को मास्क और सैनिटाइजर तक नहीं मिल पा रहा है.
बता दें कि मोदी सरकार 2.0 को सत्ता पर काबिज हुए एक साल पूरा होने के मौके पर आजतक ई-एजेंडा के मंच पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता शामिल हुए. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ पर एक तरफ जहां दिग्गज मंत्री कामकाज का लेखा-जोखा दे रहे हैं तो वहीं विपक्ष के नेता भी अपनी राय रख रहे हैं. ई-एजेंडा आजतक के कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत सरकार के कई चेहरों ने अपनी बात रखी