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लॉकडाउन: देसी जुगाड़ से बना दिया सोशल डिस्टेंसिंग वाला ई रिक्शा

इस नए डिजाइन के ई रिक्शा बनाने में कोई अलग से खर्चा भी नहीं है. एक युवक ने उसी ई रिक्शा की डिजाइन का परिवर्तन करके सोशल डिस्टेंसिंग केबिन वाला ई रिक्शा तैयार किया है.

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सोशल डिस्टेंसिंग वाला ई-रिक्शा
सोशल डिस्टेंसिंग वाला ई-रिक्शा

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  • ई रिक्शा में पर्दा लगाकर की सोशल डिस्टेंसिंग
  • उसी कीमत में सोशल डिस्टेंसिंग वाला ई-रिक्शा

कहते हैं की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. ऐसे में कोरोना संक्रमण काल में सबसे जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग को माना जा रहा है. उसी सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए उत्तर प्रदेश में हरदोई जिले के एक युवक ने सामान्य ई-रिक्शा को परिवर्तित करके सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए केबिन नुमा ई-रिक्शा बना दिया है. अब इस केबिन वाले ई रिक्शे में पीछे बैठने वाली चारों सवारियों के बीच में पूरी तरीके से सोशल डिस्टेंस बनी रहेगी और कोई भी यात्री एक दूसरे के संपर्क में नहीं आएगा.

इस नए डिजाइन के ई रिक्शा बनाने में कोई अलग से खर्चा भी नहीं है. एक युवक ने उसी ई रिक्शा की डिजाइन का परिवर्तन करके सोशल डिस्टेंसिंग केबिन वाला ई रिक्शा तैयार किया है. हरदोई शहर के रहने वाले पंकज गुप्ता जो ई रिक्शा व्यवसाय से ही जुड़े हुए हैं. कोरोना संक्रमण काल में जब सोशल डिस्टेंसिंग पर सबसे अधिक जोर दिया जा रहा है उसी सोशल डिस्टेंसिंग की आवश्यकता को समझते हुए उन्होंने ई-रिक्शा की डिजाइन में परिवर्तन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के पालन करने वाला केविन वाला ई रिक्शा तैयार कर दिया है.

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सोशल डिस्टेंसिंग वाले ई रिक्शा को बनाने में कोई अलग से नया खर्चा भी नहीं है. जो सामान ई रिक्शा के लिए आता है. उसी की डिजाइन में परिवर्तन करके सोशल डिस्टेंसिंग वाला ई रिक्शा तैयार किया गया है. अभी तक ई रिक्शा में पीछे 4 लोग बैठते थे जो आपस में आमने सामने एक दूसरे से सटे रहते थे. अब इस नई रिक्शा की डिजाईन में परिवर्तन करके ई रिक्शा में दो की जगह तीन हिस्से कर दिए गए हैं. पहले हिस्से में चालक बैठता है जबकि उसके पीछे वाले हिस्से के दो पार्ट कर दिए जिसमें दो सवारी बैठ सकती है. वहीं उनके पीछे भी दो भाग किए ताकि बाकी दो सवारी बकायादा सोशल डिस्टेंसिंग में बैठ सकें.

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साथ ही सवारियों के बीच में पर्दे भी डाले गए हैं. पंकज गुप्ता का कहना है कि पहले रिक्शे के अंदर पांच सवारी बैठ जाती थी जो आपस में बिल्कुल पास में बैठती थी जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो पाती थी. इस ई रिक्शा के बीच में पार्टीशन है आमने-सामने वाला जो बैठता है वह एक दूसरे के संपर्क में आ जाता था. अब वह पीछे की साइड में बैठता है इसमें एक व्यक्ति अपने केबिन में बैठता है दूसरे केबिन में नहीं जा सकता है तो हमने ई रिक्शा को केबिन टाइप का बनाया है.

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पंकज गुप्ता ने बताया कि इससे कोरोना का संक्रमण नहीं फैल सकता. इसके बनाने खर्चा जीरो है. जो गाड़ी के अंदर सामान है उसी को ही चेंज करके बनाया है. वही सारी चीज हैं, सारे पार्ट्स के अंदर लगे होते हैं. केवल 30 मिनट की मेहनत से चेंज की जाती है. चेंज में हम लोगों ने बीच का जो पार्टीशन है, सबसे बैक का रिवर्स में उसे घुमा दिया है ताकि जो सामने वाला यात्री अब पीछे की साइड में बैठें और ड्राइवर बिलकुल सेफ हो जाता है.

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