चुनाव आयोग के इशारे को समझे तो उत्तर प्रदेश में चुनाव अगले साल की शुरुआत में हो सकते हैं. लखनऊ में चुनाव आयोग की दो दिनों की मैराथन बैठकों के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने कहा- 'वैसे तो हर हाल में मई से पहले चुनाव हो जाएंगे लेकिन कोशिश ये है कि चुनाव ऐसे वक्त हो जिससे फरवरी और मार्च में होने वाली परीक्षा पर कोई असर ना पड़े'.
स्कूल की परीक्षाएं फरवरी-मार्च में होती है ऐसे में उम्मीद की जा रही है आयोग इससे पहले भी चुनाव कराने का फैसले ले सकता है. पिछले दो दिनों से चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों से भी समय को लेकर राय मांगी थी और लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि मतदान ऐसे वक्त हो जिससे बच्चों की परीक्षा पर असर न पड़े. हालांकि तारीख को लेकर संशय बना हुआ है, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समय से पहले चुनाव की आशंका जता चुके हैं.
चुनाव आयोग के समीक्षा की मुख्य बातें:--
-उम्मीदवारों के पर्चा भरने से पहले ही केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती हो जाएगी.
-अब तक तो वोटिंग के दौरान ही पैरामिलिट्री फोर्स लगाए जाते थे.
-इस बार 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा गया है.
-चुनाव आयोग की नजर यूपी के पुलिस थानों पर है.
-आयोग को इस बात की भी शिकायत मिली है कि अधिकतर थानेदार एक ख़ास जाति के हैं.
-मुख्य चुनाव आयुक्त ने यूपी के डीजीपी से सभी थानेदारों की लिस्ट मांगी है और कहा है कि सिर्फ इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर ही थानेदार बनाये जाएं.
तीन दिनों के दौरे में चुनाव आयोग ने यूपी के सभी पचहत्तर जिलों के डीएम, एसपी, कमिश्नर, आईजी समेत मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ बैठक की.