प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) 2007 से 2011 के बीच बनाए गए मूर्तियों के निर्माण के लिए धन के दुरुपयोग के संबंध में 6 स्थानों पर छापेमारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक इसमें कुछ सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं. यह छापेमारी लखनऊ के हजरतगंज और गोमती नगर इलाके में की जा रही है. यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री मायावती से जुड़ा बताया जाता है. बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 111 करोड़ रुपये के मूर्ति घोटाले में दर्ज किया है. ईडी द्वारा दर्ज मामले में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है.
मामले के मुताबिक यह कथित मूर्ति घोटाला उसी समय हुआ था जब मायावती उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री थीं. इस घोटाले से सरकार को करीब 111 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. जबकि मूर्ति बनाने की परियोजना की लागत 1,400 करोड़ रुपये से अधिक थी. बता दें कि पहले राज्य सतर्कता विभाग ने इस मामले में केस दर्ज किया था जिसकी रिपोर्ट को आधार बनाते हुए ईडी ने मुकदमा दर्ज किया था.
Enforcement Directorate is conducting raids at 6 locations in Lucknow in connection with Rs 1400 Crore memorial scam. Visuals from Gomti Nagar and Hazratganj area. pic.twitter.com/JVwtIzpU3R
— ANI UP (@ANINewsUP) January 31, 2019
उत्तर प्रदेश राज्य सतर्कता विभाग द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा के तहत दर्ज किए गए मामले को ईडी ने आधार बनाते हुए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. यह मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इसलिए दर्ज किया गया है क्योंकि इससे सरकारी कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों के सरकारी खजाने को 111,44,35,066 रुपये का नुकसान हुआ था.
जानकारी के मुताबिक, ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह की अगुवाई में ईडी की टीम छापेमारी कर रही है. यह छापेमारी उन लोगों के ठिकाने पर हुई है जिनके खाते में स्मारक स्कैम का पैसा गया है. आरोप है कि जगह के विकास के नाम पर पैसा लिया गया और निजी संपत्तियों में उसे निवेश किया गया.
अखिलेश के कार्यकाल में भी हुई थी छापेमारी
मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने अपने कार्यकाल में कई पार्कों और मूर्तियों का निर्माण करवाया था, इसमें उन्होंने लखनऊ और नोएडा में दो बड़े पार्क बनावाए थे. इन पार्कों में अपनी, दलित नेता भीमराव अंबेडकर, कांशीराम और पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की सैकड़ों मूर्तियां बनवाईं. इस कदम के बाद पूरे देश में विपक्षी नेताओं ने उनकी जमकर आलोचना की थी. यही नहीं, बसपा की अभी की सहयोगी समाजवादी पार्टी ने 2012 में मायावती पर मूर्तियों के निर्माण को लेकर तमाम आरोप लगाए थे. समाजवादी पार्टी ने मायावती पर सरकारी खजाने के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया था. यही नहीं, सपा सरकार में इस मामले के तहत छापेमारी भी की गई थी.
मायावती ने उस दौरान नोएडा में हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां और कांसे की 22 प्रतिमाएं लगवाई गईं थीं, जिस पर 685 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इसके बाद 2012 में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर अखिलेश यादव विराजमान हुए और मुख्यमंत्री बनते ही मायावती पर 40,000 करोड़ की 'मूर्ति घोटाले' का आरोप लगाया था. जिसे मायावती ने सिरे से खारिज कर दिया था.
मायावती को घोटालेबाज बताने वाले अखिलेश ने मिलाया हाथ
मायावती को मूर्ति घोटाले में आरोपी बताने वाले अखिलेश यादव ने अब उनसे हाथ मिला लिया है और दोनों मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ झंडा बुलंद करने का ऐलान कर चुके हैं. दोनों के हाथ मिलाने के साथ ही पहले अखिलेश यादव और अब मायावती पर ईडी द्वारा शिकंजा कसने की कवायद भी शुरू हो चुकी है. सपा-बसपा समेत विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि केंद्र की एनडीए सरकार सपा-बसपा के हाथ मिलाने से डर गई है और यही कारण है कि ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं का गलत इस्तेमाल कर मायावती और अखिलेश यादव को बदनाम करने की कोशिश कर रही है.