समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कोई करिश्मा नहीं दिखा पाईं. इतना ही नहीं यूपी में सत्ता का सुख भोग रही सपा तो मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीटें भी गवां बैठी. जबकि बीएसपी पिछली बार की तुलना में आधी सीटों पर सिमट गई है.
यूपी में सत्ता से बेदखल होने के बाद बीएसपी को चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी झटका लगा है. पार्टी के लिए लोकसभा चुनावों से पहले इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की रणनीति भी कामयाब नहीं हो सकी. दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी को 17 सीटें मिली थीं. लेकिन इस बार सीटों का आंकड़ा ईकाई अंक आठ पर सिमट गया.
बीएसपी ने 2008 के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और राजस्थान में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. दिल्ली व छत्तीसगढ़ में पार्टी को दो-दो, मध्य प्रदेश में सात और राजस्थान में छह सीटें मिली थीं. बाद में बीएसपी के सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे. राजस्थान में पार्टी को इस बार तीन सीटें ही मिलीं हैं.
मध्यप्रदेश में भी सीटें बढऩे की जगह घटी हैं. बीएसपी यहां चार सीटों तक सिमट गई. पार्टी को छत्तीसगढ़ में जरूर पिछली बार जितनी दो सीटें मिली हैं, लेकिन दिल्ली में पार्टी पूरी तरह से साफ हो गई. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इन राज्यों में प्रदर्शन के लिए जोरदार प्रचार अभियान चलाया था. मगर नतीजों ने पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. बीएसपी के अलावा यूपी की सत्तारूढ़ पार्टी सपा के लिए भी ये नतीजे बेहद निरशाजनक रहे.
सपा ने मध्यप्रदेश में 2008 के विधानसभा चुनाव में 187 सीटों पर चुनाव लडक़र एक सीट जीती थी. इस बार भी सपा ने सौ से ज्यादा प्रत्याशी उतारे. डेढ़ दर्जन उम्मीदवार गंभीर माने जा रहे थे, लेकिन उनमें से कोई भी खाता नहीं खोल पाया. राजस्थान में पिछली बार सपा ने 64 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया था और उसे एक सीट मिली थी. इस बार कोई सीट नहीं मिल पाई. दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भी उसका कोई प्रत्याशी नहीं जीत सका. जिन राज्यों में चुनाव हुए हैं, उनमें दो भाजपा और दो कांग्रेस शासित थे, लेकिन सपा को गैर कांग्रेस-गैर भाजपा का नारा उछालने का कोई लाभ नहीं मिला.