नेपाल के जंगलों से रास्ता भटककर उत्तर प्रदेश की सीमा में घुसे दो जंगली हाथियों ने इस कदर आतंक मचाया कि शासन-प्रशासन को पांच राज्यों के डेढ़ सौ विशेषज्ञों को रेस्क्यू के लिए बुलाना पड़ा है. सुरक्षा के मद्देनजर बरेली के आधा दर्जन गांवों में पीएसी भी लगानी पड़ी है. लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क से चार मादा हाथियों को भी पेट्रोलिंग के लिए बुलाया गया.
ताकि रास्ता भटके दोनों जंगली हाथियों को मादा हाथी अपने झुंड में लेकर जंगल चली जाएं, मगर सारी कोशिशें बेकार हो गईं. पिछले एक हफ्ते से रुहेलखंड के बरेली में दोनों जंगली हाथी जमे हैं. गन्ने के खेतों में देखे जा रहे ये हाथी जब कस्बों और शहर की तरफ चल पड़ते हैं तो लोगों की जान सूख जाती है. शहर की तरफ हाथियों को जाने से रोकने के लिए प्रशासन हरसंभव उपाय करने में जुटा है.
हाथियों ने 4 को मारा, लगानी पड़ी पीएसी
नेपाल के ये जंगली हाथी जब पीलीभीत और बरेली में घुसे तो तमाशबीन सेल्फी लेने लगे. पीलीभीत से बरेली के बीच तीन लोगों को दोनों हाथी कुचल चुके हैं. वहीं बहेड़ी में हाथियों को काबू करने के दौरान एक वन कर्मी को जान गंवानी पड़ी. वन विभाग के अफसर बता रहे हैं कि पहली बार रास्ता भटकर जंगल से बाहर आए ये हाथी जब आसपास लोगों को शोर करते देखते हैं तो क्रोधित हो जाते हैं.
इन हाथियों के आसपास गांव की जनता को पहुंचने से रोकने के लिए बरेली रेंज के डीआइजी राजेश पांडेय ने मूवमेंट के आसपास के गांवों में पीएसी लगा रखी है. DIG राजेश पांडेय ने Aajtak.in से कहा कि वन विभाग को पुलिस प्रशासन पूरा सपोर्ट कर रहा है. सुरक्षा के मद्देनजर फतेहगंज पश्चिमी के गांवों में पीएसी लगा दी गई है.
बरेली में नेपाल के जंगली हाथियों का आतंक, गांव में मौजूद सुरक्षाकर्मी.
कोशिशें बेकार, अब ट्रैंक्यूलाइज करने का फैसला
वन विभाग ने चार मादा हाथी लगाकर देख लिया, जंगल की तरफ ले जाने की और भी कोशिशें कीं. मगर दोनों जंगली हाथियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा. अब वन विभाग ने हाथियों को ट्रैंक्यूलाइज यानी बेहोश करने का फैसला लिया है. डीआइजी राजेश पांडेय ने आजतक को बताया कि कोशिश है कि हाथियों को हाइवे के आसपास रहने के दौरान ट्रैंक्यूलाइज किया जाए, ताकि उन्हें बेहोशी की अवस्था में ले जाने में आसानी हो.
मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा ने Aajtak.in से कहा- असम, छ्त्तीसगढ़, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान से एक्सपर्ट बुलाए गए हैं, आज(मंगलवार) बारिश के कारण ट्रैंक्यूलाइज करने में दिक्कत हो रही है. मगर यही रास्ता बचा है कि हाथियों को जंगल की तरफ ले जाने का.
बरेली में आतंक मचाने वाले हाथी की दूर से ली गई तस्वीर.
दो हफ्ते से उत्तराखंड से यूपी तक आतंक
नेपाल के जंगलों से आए दोनों हाथियों ने 27 जुलाई से यूपी के बरेली को अपना ठिकाना बनाया है. इससे पहले पीलीभीत और उत्तराखंड की सीमा में उनका मूवमेंट था. बरेली के बहेड़ी, शीशगढ़, शाही, मीरगंज और फतेहगंज पश्चिमी के जंगलों में कभी हाथी भटकते हैं तो कभी कस्बों के नजदीक पहुंच जाते हैं. बहेड़ी के एक वन कर्मी सहित तीन अन्य लोगों को मार चुके हैं.
बरेली शहर के नजदीक का मामला होने के कारण स्थानीय प्रशासन भी हाथियों को लेकर टेंशन में है. नेपाल से घुसे हाथियों ने पहले उत्तराखंड की सीमा में उत्पात मचाया था, फिर वहां से पीलीभीत होते हुए बरेली पहुंचे. हाथियों का यह मुद्दा राजधानी लखनऊ में भी गूंजा. जिसके बाद पांच राज्यों के करीब डेढ़ सौ वन कर्मियों की टीम बरेली पहुंचकर डेरा डाला. हाथियों को ट्रैंक्यूलाइज करने के बाद उठाने के लिए क्रेन और ट्रक भी स्थानीय प्रशासन ने मंगवा लिया है.