गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने मामले में 3 इंजीनियरों की 1 करोड़ की 5 अचल संपत्तियों को PMLA, 2002 के तहत जब्त किया है. समाजवादी पार्टी (एसपी) के शासनकाल में लखनऊ में बने गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं.
योगी सरकार के प्रदेश की सत्ता में आने के बाद इस घोटाले में जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद इसमें जांच शुरू हुई थी. 19 जून 2017 को पुलिस ने भी इस मामले में केस दर्ज किया था. बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. ईडी इस मामले में जांच कर रही है और आज कई अधिकारियों समेत इंजीनीयरों के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं.
समाजवादी पार्टी (एसपी) के शासनकाल में लखनऊ में बने गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं. उप्र में बीजेपी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद गोमती रिवरफ्रंट का दौरा किया था. जिसके बाद गोमती नदी चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती नदी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट में हुई वित्तीय अनियमितताओं की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने की थी.
Enforcement Directorate (ED) attaches 5 immovable properties worth ₹ 1 crore of 3 engineers in Gomti River Front Project case under Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002. pic.twitter.com/WIMr7YEyCe
— ANI (@ANI) July 4, 2019
योगी सरकार बनने के बाद एक्शन
समिति ने अपनी रिपोर्ट 16 मई 2017 को राज्य सरकार को सौंपी थी. जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की सिफारिश की गई थी. समिति ने जांच के घेरे में आए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश भी की थी.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले में नामजद आरोपियों तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चंद्र (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर शिवमंगल यादव (रिटायर्ड), अखिल रमन, कमलेश्र्वर सिंह, रूप सिंह यादव (रिटायर्ड) और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुरेशयादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. सीबीआई नामजद आरोपियों से पूछताछ करने के साथ ही कई अहम दस्तावेज कब्जे में ले चुकी है.
करोड़ों का हुआ है घोटाला
रिवरफ्रंट के निर्माण के लिए 747.49 करोड़ का बजट था. बताया जाता है कि बाद में मुख्य सचिव की बैठक में निर्माणकार्य के लिए 1990.24 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया गया था. जुलाई, 2016 में 1513.51 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे. निर्माणकार्य में स्वीकृत राशि से 1437.83करोड़ रुपये खर्च हुए थे, लेकिन करीब 60 फीसदी काम ही पूरा हो सका था.
वहीं मामले की शिकायत के मुताबिक, सपा सरकार के दौरान गोमती नदी के किनारे को विकसित करने की योजना शुरु की गई थी, जिसमें 1513 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. इस खर्चे में गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं, लेकिन तत्कालीन सपा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.