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इटावा: कौए नोचते हैं आंखें, जानवर खाते हैं मांस, भूख से तड़प-तड़प कर मर रहीं गायें

इटावा के परौली रमायन गौशाला की स्थित इतनी खराब है कि यहां भूख के कारण गौवंशों की मौत हो रही है. मंगलवार को 6 गौवंश की मौत हो गई. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एके गुप्ता का कहना है कि सरकार को गौवंशों की डाइट के लिए दी जाने वाली राशि बढ़ानी चाहिए. 30 रुपए प्रति गौवंश के लिए काफी नहीं हैं.

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इटावा में एक दिन में 6 गोवंशों की हुई मौत.
इटावा में एक दिन में 6 गोवंशों की हुई मौत.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इटावा में भूख से 1 दिन में 6 गौवंशों की मौत
  • जानवर-पक्षी नोच-नोच कर खा जाते हैं मांस

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2.0 बनने के बाद गौशालाओं और गोवंश पर विशेष ध्यान दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन अभी भी गौशालाओं की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा. इटावा में कुल 106 छोटी-बड़ी गौशालाए हैं, जिनमें लगभग 12400 गोवंश मौजूद हैं. इन गौवंशों के लिए 30 रुपए प्रतिदिन प्रति के हिसाब से भूसे की व्यवस्था की जाती है. 

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इन गौशालाओं में सबसे ज्यादा बुरी हालत थाना बसरेहर क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम परौली रमायन की गौशाला की है. इसमें 585 गोवंश रखने की क्षमता है. इस समय यहां 537 गौवंश हैं. लेकिन इस गौशाला में कई गौवंशों की भूख से तड़पते हुए मृत्यु हो गई. मंगलवार को इस गौशाला में 6 गौवंशों की भूख से मौत हो गई. गोवंश के मरने के बाद उसकी दुर्गति इस प्रकार होती है कि जानवर और पक्षी उसके अंगों को नोंच-नोंच कर खा जाते हैं.

ग्राम प्रधान शुवेंद्र सिंह चौहान का कहना है 30 रुपए प्रति गोवंश के हिसाब से बहुत कम पैसा मिल पाता है जिस कारण गोवंश को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है. ग्राम विकास की निधि का भी पैसा गौशाला में खर्च हो जाता है तो अब ग्राम पंचायत में विकास कैसे होगा ?

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उन्होंने कहा, ''हम लोगों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. सरकार से मांग करते हैं कि गौशाला के लिए अलग से अनुदान राशि बढ़ाई जाए, जिससे गोवंश की देखभाल सही से हो सके.''

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एके गुप्ता ने कहा कि ऐसे पशु गौशाला में आते हैं जो पहले से ही कमजोर होते हैं और उनमें कोई ना कोई बीमारी होती है. साथ ही उनकी हालत भी काफी खराब होती है. ऊपर से पशुओं को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता जिससे उनकी तबीयत और खराब हो जाती है. उन्होंने कहा कि हम लोग दान में भूसा लेते हैं. अब तक लगभग दो हजार क्विंटल भूसा दान में मिला है. प्रशासन की तरफ से मिलने वाले 30 रुपए प्रति गोवंश काफी नहीं हैं. गौशाला इस समय भी अनुदान से ही चलानी पड़ रही है. लोग जो पशुओं के लिए दान कर जाते हैं, उसी से गौशाला में अतिरिक्त भोजन लाने का प्रयास किया जाता है.

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