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यूपी: जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट बिल पर कितने लोगों ने दिए सुझाव? जानिए

उत्तर प्रदेश की राज्य विधि आयोग को जनंसख्या नियंत्रण कानून के मसौदे पर 8 हजार से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिली हैं. कुछ लोगों ने जहां सरकार की आलोचना की है, वहीं कुछ लोगों ने कानून को और प्रभावी बनाने के लिए सुझाव दिए हैं.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो-PTI)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ड्राफ्ट बिल पर सरकार को मिली 8,500 प्रतिक्रियाएं
  • सराहना, आलोचना और सुझावों का लगा अंबार
  • आजतक की पड़ताल में सामने आई कई बात

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग को जनसंख्या नियंत्रण पर कानून के मसौदे को लेकर लगभग 8,500 प्रतिक्रियाएं मिली हैं, जिनमें से कुछ ने आलोचना की, कुछ ने सराहना की और कइयों ने कानून को और अधिक प्रभावी बनाने के सुझाव दिए. कुछ सुझाव के बारे में आजतक ने जानाकरी भी हासिल की है.

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आयोग ने इस साल 9 जुलाई को उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण विधेयक, 2021 का मसौदा अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया था, जिसमें प्रस्तावित कानून पर जनता से 10 दिनों में सुझाव मांगे गए थे. ये सुझाव 9 जुलाई से लेकर 19 जुलाई तक के हैं.

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष एएन मित्तल ने आजतक को बताया कि राज्य विधि आयोग को जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट बिल को लेकर अपने ईमेल पर करीब 8,500 प्रतिक्रियाएं मिली हैं. उनमें से कुछ ने प्रस्तावित कानून की आलोचना की है और कुछ ने विधि आयोग द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है. जस्टिस मित्तल ने कहा कि हमें जनसंख्या नियंत्रण पर ड्राफ्ट बिल के लिए बड़ी संख्या में सुझाव भी मिले हैं.

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सभी सुझावों पर किया जाएगा गौर 

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष एएन मित्तल ने कहा है कि लॉ कमीशन सभी ईमेल्स को डाउनलोड करेगा और उन सभी की जांच करेगा. हम सभी सुझावों का गंभीरता से अध्ययन करेंगे. जनसंख्या नियंत्रण पर ड्राफ्ट बिल तैयार करते समय, अगर ये सुझाव जरूरी लगे तो इन पर काम किया जाएगा. ड्राफ्ट बिल को अंतिम रूप देने और राज्य सरकार को सौंपने में हमें एक महीने का समय लगेगा. 15 अगस्त से पहले ही इसे सरकार को सौंपा जा सकता है. 

ड्राफ्ट के बारे में नहीं जानने वाले लोग उठा रहे हैं सवाल

आयोग की ओर से कहा गया है कि जो लोग इस ड्राफ्ट बिल पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. आयोग की तरफ से यह भी गया है कि अगर इस ड्राफ्ट को विधेयक के तौर पर पेश भी कर दिया जाता है, तो भी इसके कानून बनने में एक साल का वक्त लग सकता है. 
अगर किसी ने इस कानून के बनने से पहले ही बच्चे को जन्म दिया है, तो परिवार, आयोग के बनाए गए कानूनों से बाहर रहेगा. 

धार्मिक संगठनों ने जताई  नाराजगी

जहां इस ड्राफ्ट बिल को बीजेपी लोकतांत्रिक कदम बता रही है, वहीं विपक्षी पार्टियां इस पर सवाल खड़े कर रही हैं. ड्राफ्ट बिल पर न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के राजनीतिक दलों और यहां तक कि सामाजिक और धार्मिक संगठनों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई थी.

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ड्राफ्ट बिल पर क्या है बीजेपी की प्रतिक्रिया?

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने जनसंख्या ड्राप्ट पर सुझावों का समर्थन करते हुए इसे लोकतंत्र का उत्कृष्ट उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि सुझावों के आधार पर सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाया जाएगा.

सपा ने कसा तंज

समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि यह देखने लायक होगा कि यह तथाकथित प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून रूट लेवल पर कैसे निपटेगा. सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वे जनता पर कोई भी नीति थोप सकते हैं. योगी सरकार को इस जनसंख्या फैक्टर के अलावा महिलाओं के लिंगानुपात और बेरोजगारी दर का भी ध्यान रखना चाहिए. 

सुझावों पर गंभीरता से विचार करे सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि जैसे ही सुझाव आए हैं, राज्य सरकार को भी उन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. जनता की सहमति के बिना कानून लागू नहीं करना चाहिए जैसे कि कृषि कानून लागू कर दिया था.
 

क्या है जनसंख्या नियंत्रण कानून का मकसद?

गौरतलब है कि इसी साल 11 जुलाई को, सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति 2021-2030 का अनावरण किया था, जिसका उद्देश्य 2026 तक जन्म दर को 2.1 प्रति हजार जनसंख्या और 2030 तक 1.9 तक लाना है. वर्तमान में, राज्य में जन्म दर 2.7 प्रति हजार है.
 

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