मुजफ्फरनगर दंगा पर गठित जस्टिस सहाय जांच आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को इसे जारी किया. विधानसभा में पेश किए गए इस रिपोर्ट के मुताबिक, दंगा भड़कने के लिए लोकल इंटेलिजेंस के फेल होने को बड़ी वजह बताया गया है.
सोशल और प्रिंट मीडिया भी जवाबदेह
जस्टिस सहाय जांच आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक मुजफ्फरनगर में लोकल इंटेलिजेंस फेल हो गया था. इसके बाद सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया के जरिए खूब अफवाहें फैली. रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों ही समुदाय के लोगों ने भड़काऊ भाषण दिए. दंगा भड़कने की बड़ी वजहों में यह तथ्य भी शामिल है.
डीएम-एसएसपी के फौरन तबादले से हालात काबू
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2013 में स्थानीय स्तर पर हुई कई घटनाओं ने सांप्रदायिक दरार बढ़ाने में भूमिका निभाई. कवाल में शाहनवाज, सचिन और गौरव की हत्या होने की वजह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण थी. कवाल कांड की रात ही स्थानीय डीएम और एसएसपी का तबादला कर दिए जाने का बेहतर असर पड़ा था. दंगा को अधिक फैलने से रोकने में इस फैसले का सही असर पड़ा था.
संदिग्ध आरोपियों को छोड़े जाने से भड़का गुस्सा
रिपोर्ट के मुताबिक सचिन और गौरव की हत्या के संदिग्ध 8 आरोपियों को छोड़ दिए जाने से एक खास समुदाय आहत हुआ था. इससे उनके मन में दुश्मनी और बदला लेने का भाव पैदा हुआ. शुरू में उनकी गिरफ्तारी से लोगों का गुस्सा कम हुआ था, लेकिन शाहनवाज की हत्या मामले में सचिन और गौरव के परिजनों के नाम एफआईआर दर्ज किए जाने से भी लोगों में गलत संदेश गया था.
वायरल वीडियो का सबसे बुरा असर
रिपोर्ट में दंगा भड़कने की सबसे बड़ी वजहों में वायरल वीडियो को शामिल किया गया है. सचिन और गौरव की हत्या के बाद घटना से जुड़े होने के दावे के साथ एक वीडियो को बड़े पैमाने पर गलत तरीके से वायरल किया गया था.