उत्तर प्रदेश में किसानों के साथ मुआवजे के नाम पर हुए 'मजाक' पर आजतक की खबर का असर हुआ है. मामले पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार ने फैजाबाद के लेखपाल को सस्पेंड कर दिया है.
किसानों से कम रकम वाले चेक वापस ले लिए गए हैं. साथ ही किसानों को दोबारा चेक बांटने का ऐलान किया है. मामले में एसडीएम और तहसीलदार को भी तलब किया गया है.
दरअसल, राज्य सरकार ने फसल बर्बाद होने पर फैजाबाद नें किसान को मुआवजे के तौर पर 75 रुपए का चेक भेजा. कुछ अति भाग्यशाली किसानों को 100, 125, 150 और 230 रुपये के चेक हासिल हुए. वहीं, बांदा के किसानों को 600 से 700 रुपए का चेक दिया गया.
यूपी किसान यूनियन के प्रदेश सचिव कमलेश द्विवेदी ने कहा, 'किसानों के साथ मजाक हुआ है. उनको भीख बराबर भी पैसे नहीं मिले हैं. किसान सबका पेट भरता है लेकिन खुद आत्महत्या करने को मजबूर हैं.'
इस मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी फैजाबाद के उन गांवों में गए जहां राहत देने के नाम पर यह पूरा गड़बड़ झाला हुआ है. उन्होंने ना सिर्फ वहां के एसडीएम को तलब कर फटकार लगाई बल्कि किसानों की लड़ाई लड़ने का एलान भी कर दिया. उन्होंने कहा, 'गांव में ना तो नायब आया, ना तहसीलदार. नियम के अनुसार मुआवजे के नाम पर कम से कम 750 रुपये मिलने चाहिए.'
बाजपेयी ने यह भी आरोप लगाया कि जिस जमीन पर खेती नहीं होती, उनके मालिकों के नाम पर भी चेक रिलीज किए गए. उन्होंने कहा, 'प्रधान जी का कब्रिस्तान है जिसमे खेती नहीं होती उसका भी आठ लोगों का चेक बना दिया है.'
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