उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) और सत्ता से बाहर हुई बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने ब्राह्मणों को घर का देवता बना दिया. दोनों ही पार्टियों का मानना है कि सत्ता की कुंजी ब्राह्मणों के पास है. सपा ने ऐलान किया है कि मायावती के शासनकाल में ब्राह्मणों पर दर्ज सारे मुकदमे वापस होंगे.
परशुराम जयंती पर कभी ब्राह्मणों को इतना सम्मान नहीं मिला होगा जितना इस बार मिला. सपा ने पार्टी मुख्यालय पर ब्राह्मण सम्मेलन धूम-धाम के साथ मनाया, जबकि बसपा ने महाराजगंज में ब्राह्मणों का सम्मेलन किया. दोनों ही दलों ने ब्राह्मणों के लिए अपने सारे दरवाजे खोल दिए और दावा किया कि सिर्फ वे ही ब्राह्मणों को जीभर के सम्मान देते हैं और दूसरे दल उन्हें अपमानित करते हैं.
दोनों ही दलों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर ब्राह्मणों को अपनी नैया का खेवैया बताया. बसपा ने दलितों से भी अधिक सम्मान ब्राह्मणों को दिया तो समाजवादी पार्टी ब्राह्मणों को अपना कुल देवता बनाते समय कुछ देर के लिए यादवों और मुसलमानों को भूल गई.
सपा ने विधानसभा चुनाव से पूर्व निर्दोष आतंकी मुसलमानों पर से मुकदमा उठाने का वायदा किया था जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है. सपा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ब्राह्मणों को भी सब्जबाग दिखाया कि मायावती के समय में उन पर दर्ज मुकदमे उठा लिए जाएंगे.
उन्होंने ब्राह्मण सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘पिछली सरकार में आप लोगों पर फर्जी मुकदमे लगाए गए थे, आपको जेल भी जाना पड़ा था. मैं आपको आश्वासन देता हूं कि आप पर लगे फर्जी मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे.’
अखिलेश ने यह भी याद दिलाया कि कई मामले पहले ही वापस लिए जा चुके हैं. यह कहते हुए कि ब्राह्मण समाज हमेशा ही समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलता रहा है और सही अर्थों में समाजवादी है, उन्होंने कहा कि सपा सरकार ब्राह्मण समाज के मान-सम्मान की रक्षा में कोई कोर कसर नहीं रखेगी और हमेशा उनके साथ खड़ी दिखाई देगी.
अखिलेश यादव ने ब्राह्मणों को लुभाते हुए कहा कि जिधर ब्राह्मण जाएगा, उधर ही सरकार बनेगी. आप जिधर की हवा चला दोगे, उधर ही सत्ता होगी. उन्होंने याद दिलाया कि बसपा के शासनकाल में ब्राह्मणों को अपमान के घूंट पीने पड़े थे. उन्होंने आश्वस्त किया कि सपा की शासनकाल में न सिर्फ उनके सम्मान की रक्षा होगी, बल्कि उनके अधिकारों के लिए भी सरकार लड़ेगी.
दूसरी तरफ, महाराजगंज में बसपा ने सतीश मिश्रा के नेतृत्व में ब्राह्मण सम्मेलन करके बताया कि बसपा के शासनकाल में हर महत्वपूर्ण पद ब्राह्मणों को ही दिए गए थे. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि अभी हाल में इटावा में जिस पार्टी ने ब्राह्मणों को इतना अपमानित किया कि उन्हें गांव छोड़कर जाना पड़ा, वही पार्टी ब्राह्मणों का हितैषी होने का दावा कर रही है और उन्हीं से वोट मांग रही है. उन्होंने सपा के साथ कांग्रेस और बीजेपी पर भी ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप लगाते हुए बताया कि बसपा ने ही सबसे अधिक टिकट ब्राह्मणों को दिए हैं.
सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि ब्राह्मणों के बीच जाकर उनका असली हमदर्द कौन है, यह बताने के लिए बसपा 38 स्थानों पर ब्राह्मण सम्मेलन करने जा रही है. बसपा ने संतकबीरनगर के बाद महाराजगंज में रविवार को दूसरा सम्मेलन किया है. सपा भी 26 अप्रैल को प्रबुद्ध सम्मेलन के नाम पर ब्राह्मण सम्मेलन कर चुकी है.