किसानों-मजदूरों की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान संगठन के नेतृत्व में हजारों किसान सहारनपुर से दिल्ली के लिए पैदल यात्रा कर रहे हैं. ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर बैठे और पदयात्रा करते किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. मंगलवार को मेरठ से रवाना हुई किसानों की पदयात्रा बुधवार को गाजियाबाद पहुंचेगी. इसके बाद नोएडा होते हुए 21 सितंबर को दिल्ली पहुंचकर मोदी सरकार के सामने अपनी 15 सूत्रीय मांग रखेंगे.
भारतीय किसान संगठन के उपाध्यक्ष राधे ठाकुर ने aajtak.in से बातचीत करते हुए बताया कि सहारनपुर से दिल्ली के लिए निकली 'किसान-मजदूर यात्रा' में हजारों किसान शामिल हैं. सहारनपुर से दिल्ली के किसान घाट तक पैदल यात्रा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में किसानों की हालत दयनीय है और किसान आर्थिक संकट से जूझ रहा है, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ रखे सो रही है.
राधे ठाकुर ने कहा कि समय से किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं हो रहा. योगी सरकार बिजली की दर बढ़ाकर किसान की कमर तोड़ रही है और कर्ज के चलते किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. इसी के चलते देश के किसान को दिल्ली पैदल आने के लिए मजबूर होना पड़ा है. जब तक किसानों की मागों के बारे में सरकार कोई ठोस आश्वासन नहीं देती तब तक किसान दिल्ली छोड़ने वाले नहीं हैं. भले ही हमें जितने दिनों तक दिल्ली में पड़ाव करना पड़े.
किसान मजदूर अधिकार यात्रा के दौरान सुशील चौधरी नामक किसान का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि गन्ने का भुगतान तक नहीं मिल रहा है और रेट भी दो साल से नहीं बढ़ाए गए हैं. इसके चलते किसान आर्थिक तंगी से परेशान हैं. इसके बावजूद सरकार डीजल व बिजली बिलों में इजाफा कर उनकी कमर तोड़ने का काम कर रही हैं. ऐसे में हम किसान अपने बच्चों का पेट भरें या बढ़े बिजली बिलों को अदा करें.
पैदल यात्रा में शामिल किसान नेता सोमपाल सिंह ने कहा कि गन्ना भुगतान न होने के चलते आर्थिक हालत इस कदर खराब हो गई है कि बच्चों की फीस तक नहीं दी जा रही है. दो वक्त की रोटी के लिए भी लाले पड़ रहे हैं. विपक्ष की भूमिका पर भी सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की उपेक्षा कर रही बीजेपी सरकार में विपक्ष भी निष्क्रिय पड़ा है.
सोमपाल ने कहा कि सरकार तो सरकार है लेकिन विपक्ष भी किसानों को लेकर गंभीर नहीं है. विपक्ष के निष्क्रिय होने के कारण किसानों को खेती का काम छोड़कर सड़कों पर आने को विवश होना पड़ रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि विपक्ष दलों में से महज राष्ट्रीय लोकदल ने ही समर्थन किया है और अपने प्रतिनिधिमंडल को भी भेजा है. इसके अलावा बाकी दलों को कोई समर्थन नहीं मिला है.
किसान संगठनों की प्रमुख मांगें
1. भारत के सभी किसानों के कर्जे पूरी तरह माफ हों.
2. किसानों को सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त मिले.
3. किसान व मजदूरों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य मुफ्त
4. किसान-मजदूरों को 60 वर्ष की आयु के बाद 5,000 रुपये महीना पेंशन मिले.
5. फसलों के दाम किसान प्रतिनिधियों की मौजूदगी में तय किए जाएं.
6. खेती कर रहे किसानों की दुर्घटना में मृत्यु होने पर शहीद का दर्जा दिया जाए.
7. किसान के साथ-साथ परिवार को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ मिले.
8. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट और एम्स की स्थापना हो.
9. आवारा गोवंश पर प्रति गोवंश गोपालक को 300 रुपये प्रतिदिन मिलें.
10. किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान ब्याज समेत जल्द किया जाए.
11. समस्त दूषित नदियों को प्रदूषण मुक्त कराया जाए.
12. भारत में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो.