उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में किसानों पर आफत टूटी हुई है. प्राकृतिक आपदाओं के चलते फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. फसल बीमा होने के बाद भी इन्हें बीमे की राशि नहीं मिल सकी. हमीरपुर जिले के किसानों ने बीमा कंपनियों द्वारा किए गए इस धोखे की कहानी को सुनाया. उनके पास किसान क्रेडिट कार्ड है. किसानों के इस क्रेडिट कार्ड खाते से बैंकों ने फसल बीमा की राशि तो बीमा कंपनियों को भेज दी, लेकिन किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल सका.
बीमा कंपनियां हो रहीं मालामाल
खेती करने के लिए किसान जब बैंक से क्रेडिट कार्ड बनवाते हैं, तो उनकी फसलों का बीमा किया जाता है. बीमे की राशि बैंक द्वारा उनके क्रेडिट कार्ड एकाउंट से काटी जाती है. ऐसा ही हुआ बुंदेलखंड के किसानों के साथ. उनके खाते से फसल बीमा की किश्त तो काट ली गई, लेकिन उनकी फसल जब बर्बाद हो गई, तो उन्हें बीमा राशि नहीं मिली. किसानों का आरोप है कि हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, जालौन, झांसी, ललितपुर और झांसी सहित सभी सातों जिलो में फसल बीमा के नाम पर हर साल लाखों किसानों से करोड़ों की बीमा किस्त काट कर किसानों के साथ बड़ा मजाक किया जा रहा है. वहीं हमीरपुर के जिला कृषि अधिकारी सरस कुमार तिवारी का कहना है कि किसानों को फसल बीमे का लाभ दिया जा रहा है.
किसानों में आक्रोश
बुंदेलखंड में फसलों की क्षतिपूर्ति के नाम पर 25 प्रतिशत किसानों को थोड़ा सा लाभ देकर छला जा रहा है, जिससे यहां के किसानों में भारी आक्रोश है. हमीरपुर जिले में वर्ष 2019-20 में खरीफ सीजन में जिले के कुल 37,305 किसानों ने 49 हजार 741 हेक्टेयर खेती का बीमा कराया था, जिसमें किसानों ने एक करोड़ से ज्यादा का फसल बीमा प्रीमियम भरा, लेकिन फसल बर्बाद होने के बाद फसलों के मुआवजे के रूप में एक रुपया भी नहीं मिला. वहीं इस वर्ष रवी के सीजन में बीमा कंपनियों ने 246 दावों में से 146 दावे निस्तारित कर मात्र 97 किसानों को दस लाख रुपया मुआवजा दे कर अपना पल्ला झाड़ लिया है. बीमा कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि हम पैसे दे रहे हैं. बजट आ गया है. लेकिन बीमा के लाभ के लिए इंतजार करना किसानों के लिए बड़ी सजा है.
अखिलेश का सरकार पर निशाना
वहीं इस मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार हमेशा से किसान विरोधी रही है, ये उसी बेपरवाही का नतीजा है, कि इतने बड़े मामले में सरकार कुछ भी नहीं कर रही है.