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अपनी ही महिला सिपाही की फरियाद नहीं सुनती UP पुलिस

उत्तर प्रदेश की राजधानी पुलिस भले ही महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने का दंभ भरती हो, लेकिन असलियत में वह अपने ही महकमे की महिला साथियों की शिकायतों तक को गंभीरता से नहीं लेती. लखनऊ पुलिस की एक युवा महिला सिपाही के साथ शुक्रवार को कुछ ऐसा ही हुआ.

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उत्तर प्रदेश की राजधानी पुलिस भले ही महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने का दंभ भरती हो, लेकिन असलियत में वह अपने ही महकमे की महिला साथियों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेती. लखनऊ पुलिस की एक युवा महिला सिपाही के साथ शुक्रवार को कुछ ऐसा ही हुआ.

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ये महिला सिपाही पुलिस लाइन के आरआई कुलभूषण ओझा द्वारा की गई कथित छेड़छाड़ के मामले में एफआईआर दर्ज कराने महानगर थाना गई थी, लेकिन पीड़िता सिपाही के प्रार्थनापत्र देने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई. महिला सिपाही के साथ थाने गईं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने जब इस संबंध में एसपी (ट्रांसगोमती) हबीबुल हसन से बात की तो उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों के निर्देश मिलने के बाद ही एफआईआर दर्ज होगी. उन्होंने इतना अवश्य कहा कि सीओ बबीता शनिवार तक जांच कर लेंगी और उसके बाद एफआईआर दर्ज होगी.

नूतन ने बताया कि उनके बहुत प्रयास के बाद उस पीड़ित महिला सिपाही का प्रार्थनापत्र थाने में रिसीव कर लिया गया और थाने के स्तर पर उन्हें पीली पर्ची दी गई. नूतन ने अब इन सभी बिंदुओं पर जांच कराकर एफआईआर दर्ज नहीं करने के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है.

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