उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, घाघरा, शारदा, केन और बेतवा नदियों के लगातार बढ़ते जलस्तर से हालात भयावह होते जा रहे हैं. राज्य में बाढ़ से करीब 50 लाख की आबादी प्रभावित है.
सरकार का दावा है कि प्रभावित इलाकों में राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी है. प्रदेश में गंगा एवं यमुना नदी विभिन्न शहरों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
तराई क्षेत्र में बहने वाली शारदा, घाघरा, बूढ़ी राप्ती का जलस्तर भी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. आपदा नियंत्रण कक्ष के अनुसार, गंगा नदी का जलस्तर कानपुर, रायबरेली, इलाहाबाद व मिर्जापुर में घट रहा है और गाजीपुर व बलिया में बढ़ रहा है.
यमुना नदी का जलस्तर इटावा, औरैया, जालौन, हमीरपुर, बांदा और इलाहाबाद में घट रहा है. बेतवा नदी का जलस्तर जालौन में बढ़ रहा है.घाघरा नदी का जलस्तर बाराबंकी, फैजाबाद व बलिया में बढ़ रहा है. राप्ती नदी का जलस्तर बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर तथा गोरखपुर में बढ़ रहा है.
बाढ़ से वैसे तो राज्य के करीब 40 जिले प्रभावित हैं, लेकिन इस समय सबसे ज्यादा कहर मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर और इलाहाबाद में देखने को मिल रहा है. इन जिलों में करीब दस लाख लोग बाढ़ से बेघर हो गए हैं. लाखों हेक्टेयर फसलें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं.
प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाकर उन्हें भोजन और चिकित्सा जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं. मिर्जापुर के अतिरिक्त जिलाधिकारी कृष्ण लाल तिवारी ने गुरुवार को कहा कि बाढ़ से प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में ले जाया जा रहा है.
राज्य में इस साल बाढ़ और बारिश से अब तक 246 लोगों की मौत हो चुकी है. 310 मवेशी भी इसका शिकार हुए हैं.