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भाजपा को सपा हरा सकती है, छोटे दलों को साथ लाना होगा, यूपी चुनाव पर बोले बाबू सिंह कुशवाहा

कभी मायावती (Mayawati) के करीबी रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने जन अधिकार पार्टी बनाई है. उन्होंने कहा कि भाजपा को कांग्रेस और सपा हरा सकती है. साथ ही कहा कि बड़ी पार्टियां बड़ा दिल करके छोटे दलों को अपने साथ लें.

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बाबू सिंह कुशवाहा   फोटो: आजतक
बाबू सिंह कुशवाहा फोटो: आजतक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भाजपा पर लगाए कई गंभीर आरोप
  • कहा- भाजपा और सपा सिक्के के दो पहलू

कभी मायावती के करीबी रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने जन अधिकार पार्टी (Jan Adhikar Party) बनाई है. बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा को हराने के लिए लोग विकल्प की तलाश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा को कांग्रेस और सपा हरा सकती है. उत्तर प्रदेश का हर राजनीतिक दल अपने हिसाब से अपनी पार्टी को बढ़ावा देने में लगा है. समाजवादी पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में है.

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वहीं कांग्रेस की डोर प्रियंका गांधी ने संभाल रखी है. भारतीय जनता पार्टी के लिए योगी और मोदी के साथ संघ लगा हुआ है तो छोटी-छोटी पार्टियों के लिए उनके नेता भी दिन रात मेहनत करने पर जुटे हुए हैं. कभी मायावती के करीबी रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा भी अपनी जन अधिकार पार्टी के लिए माहौल बना रहे हैं.

कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ चुके हैं चुनाव

जन अधिकार पार्टी के बाबू सिंह कुशवाहा बसपा से अलग होने के बाद 2017, 2019 का चुनाव कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ चुके हैं, लेकिन इस बार 2022 का चुनाव वह पूरी दमदारी से लड़ना चाहते हैं. इलाहाबाद जाते हुए रायबरेली में अपने कार्यकर्ताओं से मिले. बातचीत में उन्होंने अपने बीते 40 सालों के राजनैतिक अनुभव को साझा करते हुए जहां बसपा को छोड़ने का दुख व्यक्त किया, वहीं बड़े दलों को भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए एक साथ आने का निमंत्रण भी दिया. 

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बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा दिया कि अगर भाजपा को हराना है तो बड़ी पार्टियों को भी बड़ा दिल रखते हुए छोटी पार्टियों को साथ लाना होगा. उन्होंने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी और भाजपा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि देश में हर समाज के व्यक्ति को ध्यान रखना होगा कि जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी जैसे पैटर्न पर काम करना है, ताकि समाज में किसी की उपेक्षा न हो सके. 

बड़े दल छोटे दलों को साथ लेकर चलें

बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा कि भाजपा को हराने के लिए लोग विकल्प की तलाश कर रहे हैं. जो भी बीजेपी को हरा रहा है, हर दल को उसके साथ होना चाहिए. केंद्र में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो भाजपा को हरा सकती है, जबकि क्षेत्रीय स्तर पर समाजवादी पार्टी का जिक्र उन्होंने किया, लेकिन दोनों से खासे आहत भी हैं. वह और अभी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने इतना जरूर कहा कि बड़े राजनीतिक दलों को बड़े दिल का भी होना चाहिए, ताकि छोटे राजनीतिक दलों को भी साथ लेकर चला जा सके.

इन सवालों के दिए जवाब

सवाल : बाबू सिंह कुशवाहा ने अपने राजनीतिक जीवन के 40 साल यूपी की सियासत को समझते हुए बिताए. कभी मायावती के अहम हिस्सेदार रहे बाबू सिंह 2022 के चुनाव में कैसे देखते हैं?

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जवाब: 2022 के चुनाव में बहुत फर्क है. 2022 के चुनाव में जितना भारतीय जनता पार्टी का विरोध देखने को मिला, गांव में गली में जहां जाइए चौराहे पर, सड़कों पर एक आम आदमी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ है. किसान खिलाफ है, मजदूर खिलाफ है. 5 किलो अनाज दे रहे हैं. गैस सिलेंडर चूल्हा दिया है थोड़े से लोगों को. जो बहुत बड़ा तबका है, उसका विरोध है. किसान के लिए खाद बीज महंगा हो गया है. फसल की सही कीमत नहीं मिल रही है. बिजली का बिल बहुत महंगा है. सिंचाई की सुविधा नहीं है. बच्चों को रोजगार नहीं है. शिक्षा के लिए कोई नए स्कूल या कॉलेज नहीं हैं. इन बहुत सारी चीजों को लेकर इस समय भारतीय जनता पार्टी विरोध बड़े पैमाने पर है.

सवाल: आपके साथ काम करने वाले कैबिनेट में काम करने वाले लगभग हर मंत्री अलग-अलग पार्टियों में हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में, नसीमुद्दीन सिद्दीकी कांग्रेस में हैं. इंद्रजीत सरोज समाजवादी पार्टी में हैं, मायावती की पूरी की पूरी जो कैबिनेट थी, वह चारों अलग-अलग बड़ी पार्टियों में है, उन लोगों से आपकी बातचीत होती होगी. राजनीतिक मंच साझा करने की कितनी बात होती है, किसके साथ आप आ सकते हैं.

जवाब: कुछ लोगों से मेरी बातचीत होती है. राजभर जी, श्री लाल वर्मा जी से बातचीत हुई, मुलाकात हुई. बहुत सारे बिंदुओं पर चर्चा होती है. लोग ऐसा मानते हैं कि बीएसपी काफी पीछे हो गई है. सभी मानते हैं. बीएसपी की जो पुरानी विचारधारा थी, उसकी उतनी हिस्सेदारी अब नहीं रही. दलित पिछड़ा वर्ग को लेकर वह बात नहीं रही, जो बात बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा को लेकर थी. लोग विकल्प की तलाश कर रहे हैं.  हम समाजवादी पार्टी और बीजेपी को देखते हैं तो एक सिक्के के दो पहलू हैं. एक तरफ बीजेपी हिंदुत्व के नाम पर वोट लेती है दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी मुसलमान भाइयों को बीजेपी का डर दिखाकर वोट लेती है. 

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सवाल: हाल के दिनों में क्या अखिलेश यादव से मुलाकात आपसे हुई है?

जवाब: तीन चार महीने पहले मुलाकात हुई थी. बड़े नेता हैं. मुख्यमंत्री रहे. मुलाकात में यह नहीं कि कोई पॉलिटिकल डिस्कशन हो. हमारा यह कहना है कि जो गरीब को और कमजोर को समझे, एक समान शिक्षा पद्धति, किसान को खाद बिजली, सिंचाई के लिए फ्री बिजली, गरीब को फ्री बिजली दे, ऐसे लोगों के साथ हम जाना चाहते हैं.

सवाल: आप मायावती के साथ रहे, आज बसपा की स्थिति बेहद कमजोर है. सारे बड़े नेता छोड़कर चले गए. कभी कष्ट होता है. यह वही पार्टी है कि जिसको आपने खून पसीने से सींचा था.

जवाब: कष्ट तो बहुत होता है, तकलीफ होती है. जिसको बहुत सारे लोगों ने मिलकर बड़ा किया. संगठन खड़ा किया. आज वह संगठन काफी पीछे जा रहा है. जो मेरे साथ हैं, वह मुझे मिलते हैं तो मैं कहता हूं जहां आप लगे हुए हैं, वह विचारधारा नहीं है. हमने बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा, काशीराम, फुले की विचारधारा के साथ जन अधिकार पार्टी बनाई है.

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